सप्ताहांत – नज़रिया सब का अपना-अपना: हवा हो गया सबके साथ का सपना
स्वराज्य टाइम्स, 15 दिसंबर, 2019
देश में इतना संवेदनशील वातावरण शायद ही पहले कभी रहा हो। हर बात को लोग अपने अपने नजरिये से देख रहे हैं, वैसे ही उस पर प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे हैं। अफवाहों का बाजार गर्म है। भ्रांतियों ने कुछ क्षेत्रों में युवाओं को उग्र कर दिया है जो हिंसा पर उतारू हैं। यह सही है कि कोई सरकार या कोई भी सत्ताधारी राजनीतिक दल कोई ऐसा कार्य नहीं करता जो उसका अहित करता हो या उसके भविष्य को धुँधला करता हो। परंतु किसी भी कार्य को इस प्रकार किया जाए कि लोगों में नाराजी कम हो, इस बात का ध्यान रखना भी आवश्यक है।
केंद्र की वर्तमान सरकार और भारतीय जनता पार्टी की इस प्रतिबद्धता के लिए तो प्रशंसा करनी होगी कि जो उन्होंने वायदे किए या जो उनकी मूल विचारधारा है उसे पूरा करने में वे संकोच नहीं कर रहे बिना किसी राजनीतिक हित-अहित या विरोध की परवाह किए। परंतु जब आप अपना संकल्प पत्र लागू करते हैं तब राष्ट्रहित और असहमत वर्ग का तो ध्यान रखना ही होगा। हमारी गतिविधियों का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्या असर होगा यह भी देखना होता है। आखिर विश्व में हमारा देश सम्मानजनक स्थान रखता है, उस सम्मान पर भी आंच नहीं आनी चाहिए।
महिलाओं पर अत्याचारों की बढ़ती घटनाओं के बाद ब्रिटेन ने भारत यात्रा करने वाली ब्रिटिश महिलाओं को सतर्क रहने की एडवाइजरी जारी की है, नागरिकता संशोधन बिल की वजह से बंगलादेश के विदेशमंत्री ने भारत यात्रा रद्द कर दी है, जापान के प्रधानमंत्री ने भी अपनी यात्रा स्थगित कर दी। एक अमेरिकी आयोग ने भी भारत के खिलाफ जहर उगला है। ये सब हमारे मित्र देश हैं। यह ठीक है कि हमें विदेशियों की नकारात्मक बातों की ओर ध्यान नहीं देना चाहिए पर यह भी सच है कि ये देश या कोई छोटी सी विदेशी संस्था जब तारीफ करती है तो हमारे नेता फूल कर कुप्पा हो जाते हैं।
पहले की सरकारें ऐसे सारे संवेदनशील मुद्दों पर बहुत सतर्क रहती थीं। उनमें भाजपा और गैर कोंग्रेसी सरकारें भी शामिल हैं, पर उन्होंने समझदारी से काम लिया। उन सरकारों ने विकास और कल्याणकारी योजनाओं पर ज्यादा ध्यान दिया, पंचवर्षीय योजनाएं, बांध, पनडुब्बियां, अंतरिक्ष योजनाएं, परमाणु परियोजनाएं, संचार क्रांति, सड़क, मजबूत अर्थव्यस्था, संवैधानिक संस्थाओं की मजबूती पर पूरा ध्यान उनका रहता था। ऐसा नहीं है कि राजनीतिक उठापटक, सरकारों का गिराना-बनाना, दलबदल, हॉर्स ट्रेडिंग तब नहीं होती थी परंतु साथ साथ समुद्र से अंतरिक्ष तक, पटाखों से परमाणु बम तक का भी ध्यान रखा जाता था जिसकी कि अब कमी खल रही है। पता नहीं क्या हड़बड़ी है, कि बिना कुछ सोचे समझे, सम्बद्ध लोगों को विश्वास में लिए बिना निर्णय लिए जा रहे हैं।
कश्मीर से धारा 370 हटाने से पूर्व जो सुरक्षात्मक उपाय अपनाए गए वैसे नागरिकता संशोधन बिल को लाते समय पूर्वोत्तर राज्यों में नहीं किए गए। परिणामस्वरूप वहां उग्र आंदोलन हो रहा है और प्रधानमंत्री की अपील का भी कोई असर नहीं हो रहा। जैसा कि सरकारी अधिकारियों का कहना है, हो सकता है किसी गलतफहमी की वजह से उग्र आंदोलन हो रहे हों, परंतु किसी भी गलतफहमी को दूर करने की जिम्मेवारी भी तो सरकार की ही है।असम में तो भाजपा की ही सरकार है, हिंसा सबसे पहले वहीं से शुरू हुई।
महिलाओं के विरुद्ध हो रही हिंसा को भी राजनीतिक दृष्टि से ही देखा जा रहा है। जिस राज्य में घटना हुई वहाँ किस पार्टी की सरकार है, वैसी ही प्रतिक्रिया हो रही है जबकि यह ऐसा विषय है जहाँ दलगत विचारधारा से ऊपर उठ कर बात करनी चाहिए। हैदराबाद और उन्नाव में हुई दरिंदगी पर, हमेशा प्रखर रहने वाली सांसदों व अन्य नेताओं की रहस्यमई चुप्पी बहुत चुभी। लेकिन राहुल गांधी के बयान पर खूब शोरशराबा हुआ।राहुल को ऐसे संवेदनशील विषय पर बोलने में संयम व सतर्कता बरतनी चाहिए। पर उनकी बात को पकड़ कर जितना शोर हुआ उतना महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों पर भी होना चाहिए। बहुत दुःख होता है जब हर विषय को अपने अपने धर्म और दल के चश्मे से देखा जाता है। यह नहीं पता था कि सबका साथ सबका विकास केवल नारा ही रह जाएगा और इस नारे से इतनी जल्दी किनारा कर लिया जाएगा।
– सर्वज्ञ शेखर
Read in English
End of Week: Everyone’s Own Vantage Point
The country has never had such a sensitive environment before. People are looking at everything from their perspective, reacting to it in the same way. The market of rumors is hot. The fallacies have made the youth in some areas angry at violence. It is true that no government or any ruling political party does any such work that detracts or blurs its future. But any work should be done in such a way that there is less anger among people, it is also necessary to take care of this.
The present government of the Center and the Bharatiya Janata Party have to be praised for this commitment that they are not hesitant to fulfill what they have promised or what their core ideology is, regardless of any political interest or harm or opposition. But when you apply your resolution, then the national interest and the disagreeing class have to be taken care of. The effect of our activities on the international level also has to be seen. After all, our country holds a respectable place in the world, that honor should not be affected.
After the increasing incidents of atrocities on women, Britain has issued an advisory for British women traveling to India to be vigilant, Bangladesh Foreign Minister has canceled her visit to India due to Citizenship Amendment Bill, Japan Prime Minister also postponed her visit She did it. An American commission has also spewed venom against India. These are all our friends. It is right that we should not pay attention to the negative things of foreigners, but it is also true that when this country or some small foreign institution praises, our leaders swell and blossom.
Earlier governments were very cautious on all such sensitive issues. They also include BJP and non-Congress governments, but they acted wisely. Those governments paid more attention to development and welfare schemes, five-year plans, dams, submarines, space plans, nuclear projects, communication revolution, roads, strong economy, strengthening of constitutional institutions. It is not that political upsurge, toppling of governments, defection, horse trading did not happen but at the same time care was taken from sea to space, from firecrackers to atomic bombs, which is now lacking. I do not know what is the hurry, that without thinking anything, the people concerned are taking decisions without taking confidence.
The protective measures that were adopted before the removal of Section 370 from Kashmir were not made in the northeastern states while introducing the Citizenship Amendment Bill. As a result, there is fierce movement there and the Prime Minister’s appeal is also not affected. As government officials say, there may be fierce movements due to some misunderstanding, but it is also the responsibility of the government to remove any misunderstanding. In the end, the BJP is the government, violence first Started from there
The violence against women is also being seen from the political point of view. In the state where the incident happened, which party is in the government, there is a similar reaction when this is a subject where one should talk above party ideology. The mysterious silence of MPs and other leaders, who are always vigilant, is very touching on the tragedy in Hyderabad and Unnao. But there was a lot of noise over Rahul Gandhi’s statement. Rahul should exercise restraint and vigilance in speaking on such a sensitive subject. But as much noise has been made by catching his talk, atrocities on women should also be done. It is very sad when every subject is seen through the prism of their own religion and party. It was not known that everyone’s development would be only a slogan and this slogan would be removed so soon.
– Sarwagya Shekhar