जनता कर्फ्यू: एक अनुशासन पर्व
कोरोना महामारी ने जनता ही नहीं शासन प्रशासन के भी हाथ पैर फुला कर रख दिए हैं। इस का मुकाबला करने के लिए देश और प्रदेश की सरकारों ने युद्धस्तर पर प्रयास किए हैं और उनके सकारात्मक परिणाम भी सामने आ रहे हैं।यह महामारी 1,2,3,4…. या 1,2,4,8….की गति से नहीं वरन 10,20,40,80…की गति से फैलती है, इसलिए जो उपाय किये गए हैं वो अभी नाकाफी हैं, परन्तु इसका तात्पर्य यह नहीं कि देश लापरवाह है, समस्या संसाधनों की उपलब्धता की है। चीन में कम समय में एक-एक हजार बिस्तर के अस्पताल फटाफट तैयार कर दिए गए पर हमारे यहाँ ऐसा करना असंभव तो नहीं पर कठिन अवश्य है।
कोरोना से बचने और फैलने से रोकने का एक सरल व थोड़ा बहुत असरदार उपाय है क्वारन्टईन अर्थात आइसोलेशन अर्थात अलग थलग हो जाना। 17 वी शताब्दी में इटली में आने वाले समुद्री जहाजों को 40 दिन तक एकांत में छोड़ दिया जाता था। इटैलियन में 40 को Quaranta कहते हैं, तभी से क्वारन्टईन शब्द की शुरूआत हो गई । अब इसे बीमारी फैलने से रोकने के लिए मनुष्यों या पशुओं को अलग रखने के लिए प्रयोग किया जाता है।
सारा देश इस बात को जानता है कि बीमार व बुजुर्गों को भीड़ से बचना है। बहुत जरूरी आवश्यकता पड़ने पर ही घर से बाहर निकलना है, लेकिन कुछ लोग लापरवाही कर रहे हैं और मान नहीं रहे। इनमें शिक्षित, कुलीन व उच्च पदस्थ लोग भी शामिल हैं।
अतः प्रधानमंत्री को एक दिन के लिए जनता कर्फ्यू की घोषणा करनी पड़ी। उनके आदेशानुसार कल अर्थात 22 मार्च रविवार को सुबह 7 से रात्रि 9 बजे तक कोई घर से बाहर नहीं जाएगा। इसे सफल बनाने के लिए मेट्रो, ट्रेन, बस, हवाई सेवाएं सभी बंद कर दी गई हैं।
जनता कर्फ्यू के बारे में कई वैज्ञानिक व आध्यात्मिक पक्ष आजकल सोशल मीडिया पर चल रहे हैं । कहा जा रहा है कि कोरोना वायरस की उम्र अधिकतम 72 घण्टे तक है, लेकिन ज़्यादातर 36 घण्टे में ये समाप्त हो जाता है। अब अगर सरकार पूरे देश को क्वारंटाइन करना चाहे या आइसोलेशन वार्ड में एडमिट करना चाहे तो क्या ये मुमकिन है, बिल्कुल नही। इसलिए बहुत समझदारी से मोदीजी और उनके सलाहकारों ने रविवार का दिन चुना, जिस दिन सभी देशवासियों को घर पर रोकना आसान है। अब इस की गणना को समझिए। जब हमें 22 तारीख को सुबह 7 बजे से रात के 9 बजे तक जनता कर्फ्यू के रूप में घर पर रहने के लिए कहा गया है वो भी रविवार को छुट्टी वाले दिन तो इसका साफ मतलब है कि पूरे देशवासियों को 36 घंटे तक क्वारंटाइन में रहने के लिए एक समझदारी भरे निवेदन से मनाना । क्योंकि हम सब 21 मार्च की शाम या रात से अपने घर आ जाएंगे और पूरी रात घर पर ही रहते हैं जो कि जाहिर सी बात ही तो है, फिर अगले दिन सुबह 7 बजे से रात के 9 बजे तक 22 मार्च को जनता कर्फ्यू की वजह से घर पर रहेंगे और फिर उसके बाद फिर घर पर ही सो जाएंगे तो 23 मार्च सुबह जाग कर उठेंगे। इसका मतलब कि 21 मार्च की रात से 23 मार्च की सुबह तक जब हम घर पर ही रहेंगे तो 36 घण्टे का हम अपने आप को घर में क्वारंटाइन निवास ही करेंगे।
दूसरी तरफ जब शाम को 5 बजे, जब लोग अपनी खिड़की या दरवाजे पर खड़े होकर 5 मिनट तक थाली या ताली बजाकर उन लोगो को धन्यवाद देंगे तो ये भी एक आध्यात्मिक प्रयोग ही तो है जिसके माध्यम से प्राणाकर्षण करके कोरोना से लड़ने वालो को सशक्त व सम्बल प्रदान किया जाएगा।
सोशल मीडिया पर चल रही उपर्युक्त बातें जनता कर्फ्यू के प्रति जनता में सकारात्मक वातावरण का प्रतीक हैं।
1964 में देश में अकाल के समय जिस प्रकार तत्कालीन प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री जी की अपील पर देशवासियों ने सप्ताह में एक बार उपवास करके देश के स्वाभिमान की रक्षा की थी,वैसी ही स्थिति आज भी है।यह बहुत कठिन समय है, यह चिकित्सकीय आपातकाल है।1975 में आपातकाल के दौरान श्रीमती गांधी ने नारा दिया था,एक ही जादू-अनुशासन देश को महान बनाता है। (आपातकाल के दौरान हुई कुछ दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं के कारण यह नारा बाद में नैपथ्य में चला गया था।)
जनता कर्फ्यू भी आत्मानुशासन है। जनता द्वारा जनता के लिए स्वेच्छा से जारी की गई निषेधाज्ञा। आइए, इस अनुशासन पर्व को शान्तिपूर्वक मनाएँ, हम स्वस्थ तो जग स्वस्थ, संकल्प और संयम, प्रधानमंत्री जी के इन मूल मंत्रों को अपनाएं।
– सर्वज्ञ शेखर
Read in English
Janata Curfew: A Festival of Discipline
The Corona Pandemic has inflated not only the public but also the administration. To combat this, the governments of the country and the state have made efforts on a war footing and their positive results are also coming out. This epidemic 1,2,3,4…. Or it spreads at the speed of 1,2,4,8… but not at the speed of 10,20,40,80… So the measures taken are still insufficient, but this does not mean that the country is negligent, The problem is availability of resources. In China, a thousand-bed hospital has been prepared quickly, but it is impossible, if not impossible, to do it here in our country.
A simple and slightly effective way to prevent corona from spreading and spreading is by quarantine ie isolation. Sea ships arriving in Italy in the 17th century were left in solitude for 40 days. In Italian, 40 is called Quaranta, since then the word quarantine has been introduced. It is now used to keep humans or animals separate to prevent the spread of disease.
The whole country knows that the sick and elderly have to avoid the crowd. It is necessary to get out of the house only when necessary, but some people are negligent and do not believe. These include educated, noble and high ranking people.
So the Prime Minister had to announce the Janata curfew for a day. According to his order, ie on March 22, Sunday from 7 am to 9 pm no one will go out of the house. Metro, trains, buses, air services have all been closed to make it a success.
Many scientific and spiritual aspects about Janata curfew are going on on social media nowadays. It is being said that the corona virus has a maximum lifespan of 72 hours, but it usually ends in 36 hours. Now if the government wants to quarantine the whole country or admit in isolation ward, is it possible, not at all. Therefore, very wise, Modiji and his advisors chose Sunday as the day on which it is easy to stop all the countrymen at home. Now understand the calculation of this. When we have been asked to stay home as a public curfew from 7 am to 9 pm on the 22nd, that too on a Sunday holiday, it clearly means that the entire countrymen should stay in quarantine for 36 hours To celebrate with a sensible request. Because we will all come to our house from the evening or night of March 21 and stay at home all night, which is the obvious thing, then the reason for public curfew on March 22 from 7 am to 9 pm the next day. Will stay at home from there and then after that he will sleep at home then wake up in the morning on March 23. This means that from the night of March 21 to the morning of March 23, when we remain at home, then we will find ourselves quarantined in the house for 36 hours.
On the other hand, at 5 o’clock in the evening, when people will stand at their window or door and thank the people by playing thali or clap for 5 minutes, it is also a spiritual experiment through which empowering those fighting the corona by making an effort. Sambal will be provided.
The above mentioned things going on on social media are a symbol of positive atmosphere in public towards the curfew.
In 1964, in the form of famine in the country, on the appeal of the then Prime Minister Lal Bahadur Shastri ji, the countrymen had fasted once a week to protect the self-respect of the country, the situation is still today. It is a very difficult time, it is a medical emergency. The slogan was given by Mrs. Gandhi during the Emergency in 1975, the same magic-discipline makes the country great. (Due to some unfortunate incidents during the Emergency, this slogan was later on the back foot.)
Janata curfew is also self-discipline. Voluntary injunction issued by the public to the public Come, let us celebrate this discipline festival peacefully, we should be healthy and healthy, resolve and restraint, adopt these basic mantras of the Prime Minister.
– Sarwagya Shekhar