ई एम आई कम करें और नए लोन दें: कोरोना के विरुद्ध युद्ध में अब बारी बैंकों की
कोरोनावायरस के कारण लॉक डाउन की वजह से लोगों को दिक्कत नहीं हो, इसके लिए आर बी आई ने लोन के भुगतान में राहत देने और लोन सस्ता करने के फैसले किए हैं। टर्म लोन की किश्त के भुगतान में तीन महीने की राहत दी गई है। रेपो रेट में भी 0.75% कमी की गई है। इससे सभी तरह के लोन सस्ते होंगे। रेपो रेट पहले 5.15% था, अब 4.40% रह गया है।छह बार आर बी आई ने इस प्रकार रेपो रेट कम की हैं –
दिनांक | कटौती | रेपो दर % |
07 फरवरी, 19 | 0.25 | 6.25 |
04 अप्रैल, 19 | 0.25 | 6.00 |
06 जून, 19 | 0.25 | 5.75 |
07 अगस्त, 19 | 0.35 | 5.40 |
04 अक्टूबर, 19 | 0.25 | 5.15 |
27 मार्च, 2020 | 0.75 | 4.40 |
आरबीआई ने पहले लगातार पांच बार रेपो रेट में कटौती की थी। जो कि एतिहासिक है। पहले कभी इतनी उदारता से रेपो रेट में कमी नहीं की गई। पूर्व गवर्नरों का पिछले वित्तमंत्रियों से इसी बात पर भी विवाद रहता था। वे इतनी आसानी से रेपो रेट कम नहीं करते थे। परंतु आर बी आई के वर्तमान प्रबंधन और केंद्र सरकार में अपेक्षाकृत अधिक साम्य है, और जनता को लाभ पहुचाने के उद्देश्य से बैंकों की कर्ज दरों में कमी कराई जा रही है।यानी अब लोगों का होम लोन, कार और पर्सनल लोन की ईएमआई का बोझ और कम होगा।
यह आश्चर्य की बात है कि इतनी ज्यादा रेपो रेट कम करने के बावजूद बैंकों ने कभी इस का लाभ आम जनता तक उतना नहीं पहुंचाया जितना कि आर बी आई ने लचीला रुख अपनाया। कम हुई रेपो रेट से बैंकें अपना फायदा तो उठा रहीं हैं कम दरों पर रिजर्व बैंक से लोन ले कर । लेकिन जनता के लोन की ब्याज दर उस अनुपात में कम नहीं की जा रहीं।वित्तमंत्री और भारतीय रिजर्व बैंक के स्पष्ट संकेतों के बावजूद बैंक कर्ज की ब्याज दर कम क्यों नहीं कर रहे,यह समझ में नहीं आता। जबकि रेपो रेट घटाने पर हर बार जोर शोर से यह प्रचार किया जाता है कि “आम जनता को फायदा होगा, ई एम आई कम हो जाएगी”।
कोरोना वायरस की वजह से देशभर में लॉकडाउन है। इसका सीधा असर लोगों की आमदनी और कारोबार पर पड़ा है। ऐसे में लोगों को लोन चुकाने में दिक्कत स्वभाविक है। रिजर्व बैंक ने ऋणधारकों के लिए राहत की घोषणा की है। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को कहा कि सभी टर्म लोन पर 3 महीने का मोरोटोरियंम होगा।इसका मतलब है कि तीन महीने तक किसी के अकाउंट से ईएमआई नहीं कटेगी। तीन महीने के बाद ही दोबारा ईएमआई की अदायगी शुरू होगी। रिजर्व बैंक ने 1 मार्च से इसे लागू किया है तो आपको अब जून से ही ईएमआई देनी है। हालांकि यह भी ध्यान रखें कि ईएमआई माफ नहीं हुई है, बल्कि तीन महीने के लिए अस्थगित की गई है। यदि आपका लोन 2021 में जनवरी में खत्म होने वाला था तो अब यह अप्रैल 2021 में खत्म होगा।
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि कार्यशील पूंजी पर ब्याज भुगतान को टाले जाने को चूक नहीं माना जाएगा, इससे कर्जदार की रेटिंग (क्रेडिट हिस्ट्री) पर असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने यह भी कहा कि देश की बैंकिंग व्यवस्था मजबूत है। निजी बैंकों में जमा भी बिल्कुल सुरक्षित है। लोगों को घबराकर पैसा निकालना नहीं चाहिए।
रेपो रेट कटौती का फ़ायदा होम लोन, कार लोन के अलावा भी अन्य लोन में मिलेगा।इसके साथ ही अलग-अलग ईएमआई भरने वाले करोड़ों लोगों को भी फायदा मिलने की उम्मीद है।
आरबीआई गवर्नर ने बताया कि कैश रिजर्व रेशियो (CRR) में 100 बेसिस प्वाइंट की कटौती करके तीन फीसदी कर दिया गया है।यह एक साल तक की अवधि के लिए किया गया है।इससे देश के बैंकिंग सिस्टम में करीब 1.37 लाख करोड़ रुपये आएंगे।
इसके साथ ही सभी कमर्शियल बैंकों को ब्याज़ और कर्ज़ के भुगतान में तीन महीने की छूट दी जा रही है।
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि जो भी कदम उठाए गए हैं उनसे देश के बैंकिंग सिस्टम में कुल 3.74 लाख करोड़ रुपये आएंगे।
आर बी आई की राहत से आम जनता को यह लाभ होगा कि नकदी की कमी की वजह से तीन महीने तक लोन की किश्त नहीं चुका पाएंगे तो इसे डिफॉल्ट नहीं माना जाएगा।छोटी कंपनियों को यह लाभ मिलेगा कि वर्किंग कैपिटल लोन के ब्याज भुगतान में तीन महीने की राहत मिल जाएगी और क्रेडिट हिस्ट्री पर भी असर नहीं पड़ेगा।
कोरोनावायरस की वजह से अर्थव्यवस्था और जनजीवन प्रभावित हो रहा है। ऐसे में आशंका थी कि कई ग्राहक डिफॉल्ट कर सकते हैं। इससे बैंकों का एनपीए बढ़ता, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। कर्ज का भुगतान नहीं आने से बैंकों के पास कैश की कमी नहीं हो, इसके लिए नकदी बढ़ाने के उपाय भी किए गए हैं।
कल ही वित्तमंत्री ने भी एक लाख सत्तर हजार करोड़ रुपयों के राहत पैकेज की घोषणा की थी । इसमें भी ज्यादातर लाभ डी बी टी के जरिये ही दिया जायेगा।
अतः अब जिम्मेदारी बैंकों की है कि कोरोना के विरुद्ध युद्ध में सरकार का साथ किस प्रकार दिया जाता है। डी बी टी के जरिये गरीबों को सहायता, ई एम आई करके आम जनता को राहत देना, 3 माह का मोरोटेरियम दे कर उद्योगपतियों व व्यापारियों की सहायता व आर बी आई ने जो आर्थिक प्रवाह व तरलता प्रदान की है उस के सापेक्ष नए लोन वितरण, यह सब अब बैंकों को ही करना है ।
रेपो रेट क्या है?
मौद्रिक नीति में प्रायः जिस रेपो और रिवर्स रेपो रेट का जिक्र आता है,हम बताते हैं कि ये रेट क्या है और इनके कम ज्यादा करने से क्या प्रभाब पड़ता है।
रेपो रेट – रोज के कामकाज के लिए बैंकों को भी बड़ी-बड़ी रकमों की ज़रूरत पड़ जाती है, और ऐसी स्थिति में उनके लिए देश के केंद्रीय बैंक, यानि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से ऋण लेना सबसे आसान विकल्प होता है। इस तरह के ओवरनाइट ऋण पर रिजर्व बैंक जिस दर से उनसे ब्याज वसूल करता है, उसे रेपो रेट कहते हैं। आर बी आई यदि यह रेट कम कर देगा तो बैंकों को कम दर पर ऋण उपलब्ध होगा, वे भी ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए अपनी ब्याज दरों को कम कर सकते हैं, ताकि ऋण लेने वाले ग्राहकों में ज़्यादा से ज़्यादा बढ़ोतरी की जा सके, और ज़्यादा रकम ऋण पर दी जा सके। इसी तरह यदि रिजर्व बैंक रेपो रेट में बढ़ोतरी करेगा, तो बैंकों के लिए ऋण लेना महंगा हो जाएगा, और वे भी अपने ग्राहकों से वसूल की जाने वाली ब्याज दरों को बढ़ा देंगे।
रिवर्स रेपो रेट – इसके नाम से ही स्पष्ट है, यह रेपो रेट से उलट होता है। जब कभी बैंकों के पास दिन-भर के कामकाज के बाद बड़ी रकमें बची रह जाती हैं, वे उस रकम को रिजर्व बैंक में रख दिया करते हैं, जिस पर आरबीआई उन्हें ब्याज दिया करता है। अब रिजर्व बैंक इस ओवरनाइट रकम पर जिस दर से ब्याज अदा करता है, उसे रिवर्स रेपो रेट कहते हैं। रिवर्स रेपो रेट बाज़ारों में नकदी की तरलता को नियंत्रित करने में काम आती है। जब भी बाज़ारों में बहुत ज्यादा नकदी दिखाई देती है, आरबीआई रिवर्स रेपो रेट बढ़ा देता है, ताकि बैंक ज़्यादा ब्याज कमाने के लिए अपनी रकमें उसके पास जमा करा दें, और इस तरह बैंकों के कब्जे में बाज़ार में छोड़ने के लिए कम रकम रह जाएगी।
– सर्वज्ञ शेखर
पूर्व कार्यपालक, केनरा बैंक
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Reduce EMIs and give New Loans: It’s now Banks’ turn in the War Against Corona
In order to ensure that people do not have problems due to the lock down due to coronavirus, RBI has taken the decision to give relief in loan payment and to make the loan cheaper. Three months relief has been given in the payment of the term loan installment. The repo rate has also been reduced by 0.75%. This will make all types of loans cheaper. The repo rate was earlier 5.15%, now it is down to 4.40%. Six times RBI has reduced the repo rate in this way.
The RBI had previously cut the repo rate five times in a row. Which is historical. Never before has the repo rate been reduced so generously. Former Governors also had a dispute with previous finance ministers on the same thing. They did not reduce the repo rate so easily. But the current management of RBI and the central government is relatively more equitable, and banks are being reduced in loan rates to benefit the public. Now the burden of EMI on home loans, cars and personal loans is increased And will be less.
It is surprising that despite reducing the repo rate so much, banks have never taken the benefit of this to the general public as much as RBI has taken a flexible approach. With the reduced repo rate, banks are taking advantage of themselves by taking loans from the Reserve Bank at low rates. But the interest rates of public loans are not being reduced in that ratio. Despite the clear indications of the Finance Minister and Reserve Bank of India, why the banks are not reducing the interest rate of loans, it is not understood. While reducing the repo rate every time it is loudly propagated that “the general public will benefit, EMI will be reduced”.
There is a nationwide lockdown due to Corona virus. This has a direct impact on the income and business of the people. In such a situation, people have difficulty in repaying loans. The Reserve Bank has announced a relief for the loan holders. Reserve Bank Governor Shaktikanta Das said on Friday that there will be a 3-month morotorium on all term loans, which means EMIs will not be deducted from one’s account for three months. EMI repayment will start only after three months. The Reserve Bank has implemented it from March 1, so now you have to pay EMI from June itself. However, keep in mind that the EMI has not been waived, but has been deferred for three months. If your loan was to end in January in 2021, then it will end in April 2021.
The RBI governor said that withholding of interest payments on working capital would not be considered an omission, it would not affect the credit history of the borrower. He also said that the country’s banking system is strong. Deposits in private banks are also absolutely safe. People should not panic and withdraw money.
Apart from home loan, car loan, the benefit of repo rate reduction will be available in other loans as well as crores of people who are paying different EMIs are also expected to benefit.
The RBI governor said that the cash reserve ratio (CRR) has been reduced by 100 basis points to three per cent, for a period of up to one year, which will bring about Rs 1.37 lakh crore to the country’s banking system.
In addition, all commercial banks are being given a three-month exemption in interest and loan payments.
The RBI Governor said that the steps taken will bring a total of Rs 3.74 lakh crore to the banking system of the country.
The relief of the RBI will benefit the general public that if they are unable to repay the loan installment for three months due to lack of cash, it will not be considered a default. Small companies will get the benefit that three working capital loan interest payments Months of relief will be available and credit history will not be affected.
The economy and life are being affected by coronavirus. There were apprehensions that many customers may default. This would have increased the NPAs of banks, but will not happen now. Due to lack of cash due to non-payment of loans, measures have also been taken to increase cash.
Yesterday, the Finance Minister also announced a relief package of one lakh seventy thousand crores. In this too, most of the benefits will be given through DBT.
Therefore, it is now the responsibility of the banks how the government is supported in the war against Corona. Assistance to the poor through DBT, relief to the general public through EMIs, assistance of industrialists and businessmen by giving 3 months of morotium and new loan disbursements against the economic flow and liquidity provided by RBI, All this has to be done by banks now.
What is the repo rate?
In monetary policy, the repo and reverse repo rate which are often mentioned, we tell what this rate is and what is the effect of reducing it more.
Repo rate – Banks also require large sums of money for day-to-day operations, and in such a situation, the easiest option is to get a loan from the country’s central bank, ie the Reserve Bank of India (RBI). The rate at which the Reserve Bank charges interest on such overnight loans is called repo rate. If the RBI lowers this rate, then banks will get loans at a lower rate, they can also reduce their interest rates to attract customers, so that the borrowing customers can be increased more and more, And more money can be given on loan. Similarly, if the Reserve Bank increases the repo rate, it will become expensive for banks to take loans, and they will also increase the interest rates charged from their customers.
Reverse Repo Rate – As its name suggests, it is the reverse of the repo rate. Whenever banks are left with a large amount of money after a day’s work, they keep the amount on which the RBI pays them interest. Now the rate at which the Reserve Bank pays interest on this overnight amount is called reverse repo rate. Reverse repo rates are used to control the liquidity of cash in markets. Whenever there is too much cash in the markets, the RBI increases the reverse repo rate, so that banks deposit their money with it to earn more interest, and thus less money will be left in the possession of banks in the market.
– Sarwagya Shekhar