प्रकृति से करो प्रेम प्रिये।
प्रकृति है दाता
प्रकृति है भरता,
प्रकृति है प्रभु का
अनुपम उपहार प्रिये,
प्रकृति से करो प्रेम प्रिये।
जीवन में आशा
प्रेम में भाषा,
ऊर्जा, ऊष्मा
उत्साह, उमंग
प्रकृति ने संचार किए,
प्रकृति से करो प्रेम प्रिये।
चिड़ियों की चहक
पुष्पों की महक,
वन-उपवन
शीतल मंद पवन,
सुरभित पुष्पित
गुलज़ार चमन,
प्रकृति का है विहार प्रिये,
प्रकृति से करो प्रेम प्रिये।
प्रकृति की साधना
करो आराधना,
प्रकृति जब खिलखिलाती
चहुँ ओर खुशी बरसाती,
अनियंत्रित दोहन जब होता
यह हो जाती नाराज प्रिये,
प्रकृति से करो प्रेम प्रिये।
प्रकृति प्रसन्न
संसार सम्पन्न,
प्रकृति दुखी तो
कर दे विपन्न,
रोग, शोक का
कर देती प्रवाह प्रिये,
प्रकृति से करो प्रेम प्रिये।
– सर्वज्ञ शेखर