प्रधानमंत्री का नया सूत्र: “वयं राष्ट्रे जागृयाम”…
3 मई तक लौकडाउन बढ़ाने की घोषणा करते समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यजुर्वेद की एक सूक्ति “वयं राष्ट्रे जागृयाम” को उद्धृत करते हुए कहा “पूरी निष्ठा के साथ 3 मई तक लॉकडाउन के नियमों का पालन करें। जहां हैं वहां रहें, सुरक्षित रहें। “वयं राष्ट्रे जागृयाम” यानी हम सभी राष्ट्र को जीवंत और जाग्रत बनाए रखेंगे।” यह पूरी उक्ति है वयं राष्ट्रे जागृयाम पुरोहिता:।”
यजुर्वेद के नवें अध्याय के 23 वें खंड की इस उक्ति का अर्थ है राष्ट्र का जागरण करने वाले पुरोहित। राष्ट्रीय जन जागरण के लिए जो लोग रत रहते हैं उन्हें पुरोहित कहा जाता था। प्रधानमंत्री ने “पुरोहिता:” का जिक्र नहीं किया और सारी जनता से निवेदन किया कि सभी राष्ट्र को जीवंत और जाग्रत बनाए रखेंगे।
इसके अतिरिक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनता से 7 वचन लिए और इन्हें सप्तपदी बताया।सप्तपदी का तात्पर्य होता है वो सात पद या सात वचन जो हिंदू रीति से वैदिक विवाह के समय सात फेरे लेते हुए दूल्हा-दुल्हन ग्रहण करते हैं और वायदा करते हैं कि जीवन पर्यंत इन वचनों को निभाएंगे। इन सात वचनों को अटूट माना जाता है और वैवाहिक जीवन में थोड़ी सी भी गड़बड़ होने पर इन वचनों की दुहाई दी जाती है।
प्रधानमंत्री ने उसी प्रकार के बंधनों से जनता को लौकडाउन की अवधि में बांधा और इन सात वचनों का पालन करने के लिए कहा-
1.घर में बुजुर्गों का ध्यान रखें।
2.सोशल डिस्टेंसिंग की लक्ष्मण रेखा को न लांघें व घर में बना हुआ मास्क पहनें।
3.अपनी इम्म्युनिटी बढ़ाने के लिए काढ़ा,गर्म पानी पीना व अन्य उपाय करें।
4.संक्रमण को फ़ैलाव से रोकने के लिए आरोग्य सेतु मोबाइल एप डाउनलोड करें व औरों को भी कराएं।
5.अपने आसपास गरीबों की देखभाल करें व जिन्हें भोजन की आवश्यकता है उन्हें भोजन दें।
6.जो व्यवसाई व उद्योगपति हैं वो अपने कर्मचारियों के प्रति संवेदनशील रहें व उनको निकालें नहीं।
7.कोरोना संक्रमण रोकने में लगे योद्धाओं का सम्मान करें।
जब 21 दिन के लौकडाउन की घोषणा की गई थी तब भी मैंने लिखा था कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 30 जून तक लौकडाउन की सलाह दी थी। परंतु संभवतः वह खबर लीक हो गई इस लिए 21 दिन का लौकडाउन घोषित किया गया। जिस प्रकार ट्रेन के लेट होने की घोषणा एक बार में ही न करके धीरे-धीरे की जाती है उसी प्रकार लौकडाउन की घोषणा भी चरणों में ही की जा रही है। प्रधानमंत्री मोदी के बारे में यह बात प्रसिद्ध है कि वह हमेशा चौंकाते हैं। उनकी घोषणाओं व उनके समय का कोई अंदाज नहीं लगा सकता। चाहे 22 मार्च का जनता कर्फ्यू हो, 21 दिन के लौकडाउन या 3 मई तक के लौकडाउन 2 की घोषणा, किसी को अंदाज नहीं था। सभी सोच रहे थे 30 अप्रैल तक लौकडाउन बढ़ सकता है। ऐसा वातावरण भी तैयार किया गया। इसी प्रकार तीन जोन बना कर कुछ राहत देने की भी बात चल रही थी। यह सूचना प्रेस ट्रस्ट औफ इंडिया ने दी थी जिसे कि सरकारी न्यूज़ एजेंसी माना जाता है। ऐसा कोई सीधा संकेत प्रधानमंत्री ने नहीं दिया, यद्यपि 20 अप्रैल के बाद कुछ रियायतों की बात अवश्य कही।
इसे संयोग कहें या प्रयोग कि घोषणाओं का समय भी बड़े हिसाब से चुना जाता है। दीपक जलाने का समय रामनवमी भी हो सकता था या 9 अप्रैल-9 दीपक-9 बजे का नारा भी सही होता। परंतु दिन चुना गया भाजपा की स्थापना के 20 वर्ष पूरे होने की पूर्वसंध्या का। 14 अप्रैल को समाप्त हो रहे लौकडाउन को बढ़ाने की घोषणा भी 12 या 13 अप्रैल को प्रतीक्षित थी परंतु दिन चुना गया 14 अप्रैल ताकि संविधान शिल्पी बाबा साहब अंबेडकर को श्रद्धासुमन अर्पित किए जा सकें। यह अच्छी बात है, एक पंथ दो काज हो जाते हैं। वो बात दूसरी है कि छिद्रान्वेषण करने वाले हर बात में निहितार्थ खोज लेते हैं।
– सर्वज्ञ शेखर