सप्ताहान्त – आज इंग्लैंड ही क्यों जीतना चाहिए?
पुराना उद्धरण है, एक आदमी घुड़सवारी कर रहा था। नदी किनारे अचानक घोड़े का पैर फिसला और वह आदमी नदी में गिर गया। नदी में गिरने से उसकी रीढ़ की हड्डी टूट गई और वह कई दिन तक पानी में पड़ा रहा। पानी में ज्यादा समय रहने से उसे निमोनिया हो गया। निमोनिया के कारण उसकी मृत्यु हो गई। जिस अस्पताल में उसकी मृत्यु हुई वहां के डॉक्टर ने सर्टिफिकेट दे दिया कि मृत्यु निमोनिया के कारण हुई है। अब जब बीमा कम्पनी के पास क्लेम आया तो जांच में पाया गया कि निमोनिया मृत्यु का कारण नहीं था बल्कि घुड़सवारी था।
उपर्युक्त उद्धरण का अभिप्राय है, अक्सर ऐसा होता है कि जो दिखता है वह होता नहीं है और जो होता है वह दिखता नहीं है। ऐसा ही क्रिकेट विश्वकप के सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड के हाथों हुई भारतीय क्रिकेट टीम की पराजय में हुआ। लग ऐसा रहा है जैसे धोनी के रन आउट होने की वजह से पराजय हुई, परन्तु शीर्ष खिलाड़ियों की विफलता के कारण रन रेट बढ़ गया था व उन पर दवाब बहुत था। हार के कारणों की समीक्षा की जा रही है, इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया में खूब चर्चाएं हो रही हैं। सोशल मीडिया तो सबसे आगे है ही। जिन्होंने कभी क्रिकेट की बॉल देखी भी नहीं वे हार की समीक्षा करने में लगे हैं। चटखारे भी खूब लिए जा रहे हैं। जो टीम धुआंधार खेल कर सेमीफाइनल तक पहुंची वह एकदम खराब लगने लगी। यहां तक समाचार आ रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट से नियुक्त प्रशासकों की समिति सी ओ ए भी कोच और कप्तान के निर्णयों की समीक्षा करेगी। हमारी टीम यदि विश्व विजेता बन कर लौटती तो शायद बात कुछ और ही होती।
क्रिकेट तो है ही अनिश्चितताओं से भरा मनोरंजक खेल, एक बॉल या अंपायर का एक निर्णय पूरे मैच का रुख बदल देती है। धोनी को जिस बॉल पर आउट दिया गया, कहा जा रहा है वह नो बॉल थी और एक फ्री हिट या एक और बॉल मिल सकती थी, परंतु अंपायर ने निर्णय नहीं किया। यदि यह सही है तो संभव है आज इंग्लैंड से भारत की भिड़ंत हो रही होती।
जीवन के हर क्षेत्र में प्रायः यही होता है। असली कारणों को जाने बिना हम आसन्न कारणों पर ध्यान देने लगते हैं और गलतफहमी का शिकार हो जाते हैं। विपरीत परिस्थितियों में सही गलत का निर्णय बहुत सोच समझ कर किया जाना चाहिए।
आइये, आज इंग्लैंड और न्यूजीलैंड के मध्य होने वाले होने वाले फाइनल का आनन्द लीजिये। पिछला विजेता ऑस्ट्रेलिया भी दौड़ से बाहर है। अतः विश्व को इस बार नया विजेता मिलने वाला है। दोनों ही टीम गिरते पड़ते फाइनल तक पहुची हैं। विडंबना देखिये, इंग्लैंड क्रिकेट का जनक है लेकिन आज तक क्रिकेट का विश्वकप नहीं जीत पाया। अतः हमारी शुभकामनाएं क्रिकेट के जनक के साथ हैं, कम से कम एक बार तो उसका हक बनता ही है, इस बार उस हक को प्राप्त करने का मौका भी उसके पास है।
– सर्वज्ञ शेखर