सीवर लाइन की सफाई में रोबोट का इस्तेमाल
आगरा शहर में भी अब चोक सीवर लाइन की सफाई में पहली बार रोबोट का इस्तेमाल किया जाएगा। आशा है इससे नगर में ध्वस्त पड़ी सीवर लाइनों को ठीक किया जा सकेगा। जगह जगह सीवर लाइन चोक होने के कारण गंदा पानी व गंदगी सड़कों पर दिखाई देना अब बंद हो जाएगा। नई लाइनें बिछाने के साथ ही चोक सीवर लाइन को ठीक कराया जाएगा। सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट ( एसटीपी ) और सीवेज पंपिंग स्टेशन ( एसपीएस ) को बेहतर तरीके से संचालित किया जाएगा। शासन के आदेश पर आगरा शहर की सीवर की देखभाल की जिम्मेदारी निजी कंपनी को मिल गई है। 15 नवंबर को लखनऊ में नगर विकास मंत्री आशुतोष टंडन, प्रमुख सचिव मनोज कुमार की मौजूदगी में अनुबंध हुआ। कार्यवाहक नगरायुक्त केबी सिंह और कंपनी के प्रतिनिधि ने हस्ताक्षर किए। यह रोबोट सीवर या सेप्टिक टैंक के मेनहोल से जो सीवर या सेप्टिक टैंक के अंदर जाता है. कैमरा की मदद से ये अंदर की सारा बाधाएं बाहर स्क्रीन पर दिखाता है। फिर ज़रूरत के हिसाब से कमांड देने पर अंदर की कीचड़ को बाहर ले आता है।
एक रोबोट का वजन करीब 80 किलो के आसपास है। एक रोबोट की कीमत करीब 15-16 लाख रुपये है।रोबोट से छोटे सीवर या टैंक की सफाई 15 मिनट में की जा सकती है जबकि बड़े सीवर या टैंक की सफाई के लिए 45 मिनट तक लग सकते हैं। ये रोबोट 10 मीटर की गहराई तक जा सकता है। सबसे पहले केरल में इस रोबोट का प्रयोग किया गया। जबकि गुरुग्राम उत्तर भारत का पहला राज्य है जहां सबसे पहले मार्च 2019 में सीवर की सफाई के लिए रोबोट को शुरू किया गया।हरियाणा के मुख्यमंत्री ने बैंडिकूट 2.0 नामक इस रोबोट की कार्यप्रणाली को देखा। इसके पुराने वर्जन का केरल और तमिलनाडु के कुछ नगर निकायों में परीक्षण किया जा चुका है।
किसी इंसान को गटर में उतार कर सफाई कराना आम बात है। हर थोड़े दिन पर गटर के गैस की वजह से मजदूरों के मरने की खबरें आती रहती है पर अब इंसान की जगह रोबोट गटर में उतरा करेंगे। ज्यादातर सीवर साफ करने वाले मजदूर सीवर साफ करने के लिए कई तरीके अपनाते हैं। वे कमर से एक रस्सी बांधकर, हाथ में बाल्टी और फावड़े के साथ सीवर साफ करने के लिए उतरता है, सुरक्षा की नजर से बिलकुल सुरक्षित नहीं है। यही नहीं उन मजदूरों के लिए यह खतरे का काम है। सीवर में काम करने से लगातार त्वचा संक्रमण, श्वसन विकार से जूझना पड़ता है। मौत का जोखिम उठाकर ये अपनी रोजी रोटी की व्यवस्था करते हैं।
सीवर की सफाई करते हुए मजदूरों की जान जाने की दुर्घटनाएं आम हो गई हैं। आंकड़े बताते हैं कि हर पांच दिन में एक मजदूर की जान सीवर साफ करने के दौरान चली जाती है। कई बार ऐसा हुआ है कि एक मजदूर पहले जहरीली गैस की चपेट में आता है फिर उसे बचाने के चक्कर में दूसरों की भी जान चली जाती है।
2011 की जनगणना में पाया गया कि भारत में मैनुअल स्कैवेंजिंग के 7.94 लाख मामले सामने आए हैं। वहीं 2017 के बाद से हर 5 दिन में सीवर साफ करने के दौरान एक मृत्यु हो जाती है। सफाई कर्मचारियों के संगठन के अनुसार 2016 और 2018 के बीच दिल्ली में ही 429 मौतें हुईं। केंद्रीय सामाजिक न्याय और आधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने संसद में बताया था कि पिछले 3 सालों में देश भर में सीवर या सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान 88 लोगों की मौत हुई जिसमें सबसे ज्यादा 18 मौतें दिल्ली में हुई। लेकिन रोबोट के प्रयोग से अब ऐसा नहीं होगा। रोबोट के आने से अब मजदूरों को सीवर में उतरने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी।
इसकी शुरुआत केरल से हुई। जहां सीवेज साफ़ करने की जिम्मेदारी अब रोबोट उठा रहे हैं और इस तरह वहाँ इंसानों का गटर में उतरना बंद हो गया। ‘बंडीकूट’ नाम के रोबोट का आविष्कार जेन रोबोटिकस ने किया है। ये रोबोट सीवर में उतर कर गन्दगी साफ़ करते हैं।
मैनुअल रूप से एक सीवर को साफ करने में तीन से चार घंटे लगते हैं। वहीं यह रोबोट 20 मिनट में ही अपना काम खत्म कर देता है।यह रोबोट एक दिन में 10 मैनहोल को साफ करने की क्षमता रखता है। यह रोबोट एक पोर्टेबल जनरेटर और कंप्रेसर से जुड़ा होता है, इसकी लंबाई लगभग 1.5 मीटर है। रोबोट का वजन लगभग 80 किलोग्राम है और गहराई तक जाकर सफाई कर सकता है एक मानव ऑपरेटर मैनहोल के पास रहकर और नियंत्रण कक्ष पर रंगीन बटन के जरिए सीवर के अंदर के रोबोट को नेविगेट करता है। रोबोट के हाथ मैनहोल के अंदर जाकर ठोस इकट्ठा करते हैं। जबकि रोबोट के ‘पैर’ मशीन को स्थिर करने में मदद करते हैं। इसमें सीवर के अंदर गैसों के स्तर को मापने के लिए सेंसर, रात के समय उपयोग के लिए लाइट्स और वाटरप्रूफ इंफ्रारेड वॉच के साथ साथ अंदर के दृश्यों को देखने के लिए कैमरा भी मौजूद है।
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Robots to be used in cleaning sewer lines
In Agra city too, the robot will now be used for the first time in cleaning the choke sewer line. It is hoped that the sewer lines that have been demolished in the city will be repaired. Due to sewer line choke in place, dirty water and dirt will be visible on the roads now. With the laying of new lines, the choke sewer line will be repaired. Sewage Treatment Plant (STP) and Sewage Pumping Station (SPS) will be better operated. On the orders of the government, the responsibility of taking care of sewer of Agra city has got to the private company. The contract was signed in Lucknow on November 15 in the presence of Municipal Development Minister Ashutosh Tandon, Principal Secretary Manoj Kumar. Acting city commissioner KB Singh and company representative signed on. This robot enters the sewer or septic tank from the main hole of the sewer or septic tank. With the help of the camera, it shows all the obstacles inside on the screen. Then on giving the command according to the need, it brings out the sludge inside.
The weight of a robot is around 80 kg. A robot costs around Rs 15-16 lakh. A small sewer or tank can be cleaned by a boat in 15 minutes while cleaning a large sewer or tank can take up to 45 minutes. This robot can go up to a depth of 10 meters. The robot was first used in Kerala. While Gurugram is the first state in North India where the robot was first introduced for cleaning sewer in March 2019. The Chief Minister of Haryana observed the working of this robot called Bandicoot 2.0. Its older version has been tested in some municipal bodies in Kerala and Tamil Nadu.
It is common practice to clean a person in the gutter. Every few days, there are reports of laborers dying due to gutter gas, but now robots will land in the gutter instead of humans. Most sewer cleaners employ several methods to clean sewer. He takes off with a rope tied at the waist, bucket in hand and shovel to clean the sewer, not at all safe from the point of view of security. Not only this, it is a work of danger for those workers. Working in the sewer constantly causes skin infections, respiratory disorders. Taking the risk of death, they arrange for their livelihood.
Accidents of laborers’ lives cleaning sewer have become common. Statistics show that every five days a laborer dies during sewer cleaning. Many times it has happened that a laborer first comes in the grip of poisonous gas, and then others are killed in the process of saving it.
The 2011 census found that 7.94 lakh cases of manual scavenging have been reported in India. At the same time, one death occurs every 5 days while cleaning sewer since 2017. Between 2016 and 2018, there were 429 deaths in Delhi itself, according to the sanitation workers’ organization. Union Social Justice and Empowerment Minister Thawar Chand Gehlot had told Parliament that 88 people died during the last 3 years during the cleaning of sewer or septic tanks across the country, with the maximum 18 deaths in Delhi. But now this will not happen with the use of robots. With the arrival of the robot, workers will no longer need to get into the sewer.The 2011 census found that 7.94 lakh cases of manual scavenging have been reported in India. At the same time, one death occurs every 5 days while cleaning sewer since 2017. Between 2016 and 2018, there were 429 deaths in Delhi itself, according to the sanitation workers’ organization.
It started in Kerala. Where robots are now taking up the responsibility of cleaning sewage, and thus humans stop getting into the gutter. The robot named ‘Bandicoot’ is invented by Jane Roboticus. These robots descend into the sewer and clean up the dirt.
It takes three to four hours to manually clean a sewer. At the same time, this robot finishes its work in 20 minutes. This robot has the ability to clean 10 manholes in a day. This robot is connected to a portable generator and compressor, its length is about 1.5 meters. The robot weighs about 80 kg and can go deep and clean up. A human operator navigates the robot inside the sewer by staying near the manhole and through the colored buttons on the control room.
The robot’s hands go inside the manhole and collect the concrete. While the robot’s ‘feet’ help stabilize the machine. It has sensors to measure the level of gases inside the sewer, lights for night time use and waterproof infrared watch, as well as a camera for viewing inside views.
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