लघु कथा – अचूक उपाय
शरद बाबू की कई दिनों से बांई आँख फड़क रही थी। ऐसी मान्यता है कि आँखों का फड़कना शुभ अशुभ का संकेत देता है, वह इसलिए भी परेशान थे कि बाई आँख का फड़कना अशुभ माना जाता है।
इसका वैज्ञानिक कारण यह ज्ञात हुआ कि कम्यूटर या मोबाइल पर ज्यादा काम करने से आँखें जब सूख जाती हैं तब ऐसा होता है। अर्थात लुब्रिकेशन कम हो जाने से।
सूखी आँखों के इलाज का जब शोध हुआ तो पता लगा कि आँसू ज्यादा आने से सही हो जाएँगी। पलकों को देर तक झपकाया जाये, देर तक खुला रखा जाये, आँखों को इतनी वेदना दी जाये कि आँसू आ जाएँ। फिल्मों, नाटकों में नकली आंसू लाने के लिए जिस दवा का प्रयोग किया जाता है, उसका भी सुझाव दिया गया।
किसी से कुछ नहीं हुआ, आँसुओं को नहीं आना था तो नहीं आए।
अचानक रात को दिवंगत पिताजी उनके सपने में आ गए।
आँखों को किसी दवा की आवश्यकता नहीं पड़ी।
– सर्वज्ञ शेखर
(यह लघुकथा 04 जुलाई 2019 को हिंदुस्तान के राष्ट्रीय अंक में प्रकाशित हुई है)