विभूतियाँ कभी मरा नहीं करतीं
ऐसा पश्चाताप होगा, सोचा भी नहीं था। आदरणीय कैप्टन व्यास चतुर्वेदी लोटस हॉस्पिटल में भर्ती थे, कई बार चाहते हुए भी परिस्थितियाँ ऐसी रहीं कि वहाँ जाना संभव नहीं हो पाया। आज उनके घर जाने वाला था कि किसी ने कह दिया कि गुरुवार को देखने नहीं जाते, कल शुक्रवार को हर हाल में घर पर जा कर मिलने का सोच रखा था, परँतु ईश्वर को कुछ और ही मँजूर था, मेरा दुर्भाग्य, वह कल आ ही नहीं पाया और आज ही आप सँसार से विदा हो गए।
पिछले दो वर्षों में कैप्टन साहब का सानिध्य कुछ अधिक प्राप्त हुआ। नागरी प्रचारिणी सभा, पुस्तक मेला, नीरज स्मृति समारोह सहित अनेक कार्यक्रमों में आपसे भेंट होती, चरणस्पर्श करके आशीर्वाद प्राप्त करता, अपने पास ही बिठाते व बात करते रहते, हिंदी की दुर्दशा, ब्रज साहित्य, राष्ट्रभक्ति न जाने क्या क्या। 27 मार्च 2019 को स्वाधीनता संग्राम सेनानी व साहित्यकार करुणेश स्मृति सम्मान प्राप्त करते समय अपने स्वभाव के अनुसार उन्होंने बहुत खरी खरी बातें कहीं, जो सदैव जेहन में रहती हैं। वह इस बात के सख्त विरोधी थे कि राष्ट्रीय विभूतियों के नाम के आगे स्वर्गीय लगाया जाए क्योंकि विभूतियाँ कभी मरा नहीं करतीं। उन्होंने सख्ती से कहा अगली होली पर जब मैं यहाँ आऊं तो करुणेश जी के नाम के आगे स्वर्गीय न लिखना। जिस होली की बात उन्होंने कही वह आने वाली है पर दुर्भाग्य से वह नहीं होंगे हमारे बीच।
83 वर्ष की आयु में भी उनकी चाल व वाणी में सेना वाला जोश बरकरार था। पुस्तक मेले में वह लगातार 10 दिनों तक शाम को आते थे। अस्वस्थ रहते हुए भी नागरी प्रचारिणी सभा के कार्यक्रमों में उनकी उपस्थिति रहती थी। वह हिंदी भाषा विशेषकर ब्रज भाषा की दुर्गति से बहुत क्षुब्ध थे, पूरी तरह हिंदी में छपा अपना विजिटिंग कार्ड दिखाना नहीं भूलते थे। काव्य पाठ या भाषण में कोई जरा सी भी त्रुटि करता तो उसे टोके बिना नहीं मानते थे। अपनी खरी खरी बातों को दृढ़ता से कहना उनकी विशेषता थी।
ऐसे राष्ट्रभक्त, भाषाप्रेमी, स्पष्टवादी साहित्यकार कैप्टन साहब को नमन। आप सदैव हमारी स्मृति में बने रहेंगे।
– सर्वज्ञ शेखर
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Great People never die
It would be remorse, not even thought. The venerable Captain Vyas Chaturvedi was admitted in Lotus Hospital, even though many times the circumstances were such that it was not possible to go there. Today he was going to go to his house that someone said that he does not go to see on Thursday, he had planned to meet at home tomorrow on Friday, but God had something else to do, my misfortune, he will come tomorrow Could not be found and today you left the world.
In the last two years Captain Saheb’s accomplishment was more. Nagari Pracharini Sabha, Book Fair, Neeraj Smriti Samaroh would meet you at many events, get blessings by touching, keep sitting and talking with you, the plight of Hindi, Braj literature, what not to know about patriotism. While receiving the freedom fighters and litterateur Karunesh Smriti Samman on 27 March 2019, according to his nature, he has said very good things, which are always in mind. He was strongly opposed to putting heavenly in front of the names of national personalities because they never die. He strictly said, do not write heavenly in front of Karunesh ji’s name when I come here on the next Holi. The Holi he spoke about is coming, but unfortunately he will not be among us.
Even at the age of 83, there was a military vigor in his gait and speech. He used to visit the book fair in the evening for 10 consecutive days. Despite being unwell, he was present in the programs of the Nagari Pracharini Sabha. He was very upset with the degradation of the Hindi language, especially the Braj language, completely forgetting to show his visiting card printed in Hindi. If someone made a slight error in the poetic text or speech, he would not have considered it without interference. It was his specialty to say his honest words firmly.
Salutations to such a patriotic, linguistic, forthright litterateur Captain Sahab. You will always remain in our memory.
– Sarwagya Shekhar