त्रुटिपूर्ण लोकतंत्र?
भारत में तीन राष्ट्रीय पर्व मनाए जाते हैं, गाँधी जयंती, स्वतँत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस। 26 जनवरी को सारा राष्ट्र गणतंत्र दिवस मना रहा है। मैं शुरू से ही इस बात का पक्षधर हूँ कि राष्ट्रीय पर्वों पर अपने गौरवशाली इतिहास को याद किया जाए, अच्छे माहौल में धूमधाम से मनाया जाए जैसे हम धार्मिक पर्वों व अपने व्यक्तिगत दिवस मनाते हैं। परँतु आज आए एक समाचार ने सारे उत्साह पर तुषारापात कर दिया। यह समाचार इस बात का भी संकेत है कि वैश्विक परिदृश्य में अन्य देश भारत के बारे में क्या राय रखते हैं। विदेशी मीडिया में व राजनयिक वार्तालापों में हमारे बारे में जो कुछ कहा जा रहा है उससे हम आँख मूँद कर नहीं रह सकते।
जिस बुरी खबर का मैं जिक्र कर रहा हूँ वह यह है कि इकोनॉमिस्ट इंटेलीजेंस यूनिट (ईआईयू) द्वारा 2019 के लिये लोकतंत्र सूचकांक की वैश्विक सूची में भारत 10 स्थान लुढ़क कर 51वें स्थान पर आ गया है। संस्था ने इस गिरावट की मुख्य वजह देश में “नागरिक स्वतंत्रता का क्षरण” बताई है। यह वैश्विक सूची 165 स्वतंत्र देशों और दो क्षेत्रों में लोकतंत्र की मौजूदा स्थिति का एक खाका पेश करती है। यह सूचकांक पांच श्रेणियों पर आधारित है- चुनाव प्रक्रिया और बहुलतावाद, सरकार का कामकाज, राजनीतिक भागीदारी, राजनीतिक संस्कृति और नागरिक स्वतंत्रता। इनके कुल अंकों के आधार पर देशों को चार प्रकार के शासन में वर्गीकृत किया जाता है- “पूर्ण लोकतंत्र” (8 से ज्यादा अंक हासिल करने वाले), त्रुटिपूर्ण लोकतंत्र (6 से ज्यादा लेकिन 8 या 8 से कम अंक वाले), संकर (जातिवादी-हाइब्रिड) शासन (4 से ज्यादा लेकिन 6 या 6 से कम अंक हासिल करने वाले) और सत्तावादी शासन (4 या उससे कम अंक वाले)। भारत को ‘‘त्रुटिपूर्ण लोकतंत्र’’ में शामिल किया गया है।
ब्रिटेन का जाना-माना प्रकाशन समूह ‘द इकोनॉमिस्ट ग्रुप’ अपने रिसर्च विभाग ‘द इंटेलिजेंस यूनिट’ की मदद से हर वर्ष एक ‘डेमोक्रेसी इंडेक्स’ जारी करता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘डेमोक्रेसी इंडेक्स में दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र, भारत के समग्र स्कोर में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है।
शून्य से 10 के पैमाने पर भारत का स्कोर 2018 में 7.23 से गिरकर 2019 में 6.90 हो गया और इसकी प्राथमिक वजह देश में नागरिक स्वतंत्रता में कटौती करना रहा’।वर्ष 2019 के स्कोर की तुलना अगर पिछले वर्षों से करें, तो 2006 में रैंकिंग शुरू होने के बाद से यह सबसे कम स्कोर है।
इस रिपोर्ट में भारत की रैंकिंग गिरने और स्कोर घटने की वजह भी बताई गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘भारत प्रशासित कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाए जाने, असम में एनआरसी पर काम शुरू होने और फिर विवादित नागरिकता क़ानून, सीएए की वजह से नागरिकों में बढ़े असंतोष के कारण भारत के स्कोर में गिरावट दर्ज की गई’। इस रिपोर्ट में भारत को एक ओर जहाँ ‘राजनीतिक सहभागिता’ के मामले में अच्छे नंबर मिले हैं, वहीं देश के मौजूदा ‘राजनीतिक क्लचर’ की वजह से कई नंबर कट भी गए हैं।
‘द इंटैलिजेंस यूनिट’ का कहना है कि वो सभी देशों के स्कोर का आंकलन वहाँ की चुनाव प्रक्रिया, बहुलतावाद, नागरिक स्वतंत्रता और सरकार के कामकाज के आधार पर करते हैं।
ताज़ा रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘साल 2019 लोकतंत्र के लिए सबसे ख़राब रहा। वैश्विक गिरावट मुख्य रूप से लैटिन अमरीकी, उप-सहारा अफ़्रीका और पश्चिम एशिया क्षेत्र में देखी गई। अधिकांश एशियाई देशों की रैंकिंग में 2019 में गिरावट देखी गई है’।
नई रिपोर्ट में नॉर्वे टॉप पर बना हुआ है. अमरीका इस रिपोर्ट में 25वें, ऑस्ट्रेलिया 9वें, जपान 24वें, इसराइल 28वें और ब्रिटेन 14वें पायदान पर है। यदि भारत के पड़ोसी देशों की बात की जाए तो चीन 153वें, पाकिस्तान 108वें, नेपाल 92वें, बांग्लादेश 80वें और श्रीलंका 69वें नंबर पर है।
हम इस रिपोर्ट का समर्थन नहीं करते। भारत का लोकतंत्र इतना मजबूत और पारदर्शी है कि ब्लॉक प्रमुख से लेकर मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री तक जब पराजित होते हैं तो बिना किसी ना नुकुर के तुरँत त्यागपत्र दे देते हैं और विजेता को सत्ता सौंप देते हैं। केवल इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्णय के बाद इंदिरा गांधी द्वारा त्यागपत्र न देना ही एक अपवाद है। भारत के पड़ोस में कितने खूनी तख्ता पलट हुए, सेना का राजनीति में दखल हुआ लेकिन हमारा लोकतंत्र मजबूती के साथ संवैधानिक गणतंत्र के नियमों का अनुपालन करते हुए उन्नत भाल लिए खड़ा है। फिर भी यह नकारात्मक रिपोर्ट इस बात का प्रतीक है कि सरकार और विपक्ष के विवादों से भारत की लोकतांत्रिक छवि विदेशों में धूमिल हो रही है।
71 वें गणतंत्र दिवस की आप को बधाई। जयहिंद।
– सर्वज्ञ शेखर
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Defective democracy?
Three national festivals are celebrated in India, Gandhi Jayanti, Independence Day and Republic Day. The entire nation is celebrating Republic Day on 26 January. From the very beginning, I am in favor of remembering our glorious history on national festivals, celebrating with great pomp as we celebrate religious festivals and our personal days. But a news came today blighted all the enthusiasm. This news is also an indication of what other countries think of India in the global scenario. We cannot remain blinded by what is being said about us in foreign media and in diplomatic conversations.
The bad news that I am referring to is that India has slipped 10 places to 51st in the Global List of Democracy Index for 2019 by the Economist Intelligence Unit (EIU). The institution has cited the main reason for this decline as “erosion of civil liberties” in the country. This global list provides a blueprint of the current state of democracy in 165 independent countries and two regions. The index is based on five categories – election process and pluralism, government functioning, political participation, political culture and civil liberties. Based on their total score, countries are classified into four types of governance – “full democracy” (scoring more than 8 points), flawed democracy (more than 6 but less than 8 or 8 points), hybrid ( Racist-hybrid) regime (more than 4 but scoring 6 or less than 6) and authoritarian rule (with 4 or less). India is included in “flawed democracy”.
Britain’s renowned publishing group The Economist Group releases a ‘Democracy Index’ every year with the help of its research department, The Intelligence Unit. The report says that the ‘Democracy Index’ recorded the biggest drop in India’s overall democracy, India’s overall score.
On a scale of zero to 10, India’s score fell from 7.23 in 2018 to 6.90 in 2019, and the primary reason for this was to cut civil liberties in the country. This is the lowest score since being.
This report also cited the reasons for India’s ranking falling and the score falling. The report said that ‘India’s scores fell due to the removal of Article -370 from Indian-administered Kashmir, the commencement of work on NRC in Assam and then increased dissatisfaction among citizens due to the disputed citizenship law, the CAA’. In this report, while India has got good numbers in terms of ‘political participation’, many numbers have also been cut due to the country’s current ‘political clutch’.
The Intelligence Unit says that they assess the scores of all countries based on the electoral process, pluralism, civil liberties and functioning of the government.
The latest report says that the year 2019 was the worst for democracy. The global decline was mainly observed in Latin America, Sub-Saharan Africa and the West Asia region. Most Asian countries ‘rankings have seen a drop in 2019’.
Norway remains on top in the new report. The US ranks 25th, Australia 9th, Japan 24th, Israel 28th and Britain 14th in this report. If we talk about India’s neighbors, China is at 153rd, Pakistan 108th, Nepal 92nd, Bangladesh 80th and Sri Lanka 69th.
We do not support this report. India’s democracy is so strong and transparent that when defeated, from the block chief to the chief minister, the Prime Minister immediately resigns without handing over and handing over the power to the winner. The only exception is the resignation of Indira Gandhi after the Allahabad High Court’s decision. There have been many bloody coup in the neighborhood of India, military has interfered in politics, but our democracy stands strong and complied with the rules of constitutional republic. Yet this negative report symbolizes that India’s democratic image is being tarnished by disputes between the government and the opposition.
Congratulations to you on the 71st Republic Day. Jai Hind.
– Sarwagya Shekhar