सप्ताहांत: यह धुंध कब छटेगी?
यह पूरा सप्ताह वातावरण में छाई धुंध को ही समर्पित हो गया। धुंध क्यों छाई है, इसके लिए जिम्मेवार कौन हैं, उपाय किए गए या नहीं किए गए, दिल्ली में ओड ईवन और स्वास्थ्य इमरजेंसी, पंजाब हरियाणा में पराली का जलना आदि आदि जितने सारे विषय थे सब धुंध के इर्द गिर्द ही घूमते रहे।
धुंध दो शब्दों के मेल से बनी है – धुंआ (Smoke) और कोहरा (Fog) = Smog या धुंध। पानी के कणों और धुएं में उपस्थित कार्बन के कणों के मिश्रित होने से धुंध बनती है और यह सर्दी के मौसम में अधिक हो जाती है क्योंकि उस समय कोहरे में पानी के कण हवा में होते हैं और कार्बन के कण उनमें मिश्रित हो जाते हैं। धुंध एक तरह का वायुप्रदूषण ही होती है जो दृश्यता को कम कर देती है। धुंध की समस्या उन क्षेत्रों में अधिक होती है जहाँ धुआँ पैदा करने वाले कारखाने लगे होते हैं। जिस कारण प्रदूषण ज्यादा होता है। शहरों में यह समस्या इसलिए अधिक होती है क्योंकि वहां औद्योगिक काम अधिक होता है, वहां पर फैक्ट्रियों, गाड़ियों से निकलने वाला धुंआ, जहरीले कण, राख आदि जब कोहरे के सम्पर्क में आते हैं तो यहाँ से धुँध बनती है।
ऐसे में प्रदूषण के साथ-साथ लोगों को धुँध की समस्या से भी दो चार होना पड़ता है। यह पर्यावरण के साथ-साथ हम मनुष्यों के स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा नहीं है।दिवाली के बाद से ताजनगरी आगरा की हवा में भी लगातार प्रदूषण का जहर घुल रहा है। धुंध गहराने के साथ प्रदूषण तत्वों की मौजूदगी के कारण स्मॉग से लोगों को सांस लेने में परेशानी का सामना करना पड़ा। ताजमहल का दीदार करने आए पर्यटकों और अस्थमा तथा सांस के मरीजों को मास्क लगाकर सांस लेनी पड़ी। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी की गई एयर क्वालिटी इंडेक्स सूची में ताजनगरी में पिछले सप्ताह एक्यूआई 249 दर्ज किया गया।
धुंध का सर्वाधिक प्रभाव दिल्ली में हैं जहां प्रदूषण को कम करने के लिए हेल्थ इमरजेंसी को लागू किया गया है और ओड ईवन प्रणाली फिर शुरू की गई है, निर्माण कार्यो पर अस्थाई रूप से रोक लगाई गई है, ताकि प्रदूषण के दुष्प्रभाव को कम किया जा सके। वहां प्रदूषण का स्तर इतना बढ़ गया है कि लोगों को सॉस लेने में भी तकलीफ होती है।दिल्ली एक प्रकार से गैस चैम्बर में बदल गई है।
दिल्ली की इस धुंध के पीछे केवल आगरा का ताजमहल ही नहीं छिपा बल्कि अनेक महत्वपूर्ण प्रश्न भी धुंधलके के आगोश में समा कर उत्तर देने से बचते रहे। यूरोपीय यूनियन के 23 सांसदों के एक दल ने जम्मू कश्मीर की यात्रा की। पहले 27 को जाना था परंतु बाद में 4 सांसद क्यों न गए, विपक्षी सांसदों को अनुमति नहीं दी गई विदेशियों को दी गई,यात्रा के बाद सांसदों ने बड़ी नपी-तुली भाषा बोली, भाजपा बाद में बैकफुट पर क्यों आई और उन सांसदों का ज्यादा प्रचार नहीं किया।ये सारे सवाल धुँधला गए।
महाराष्ट्र की राजनीति पर छाए धुंध के बादल भी छंटने के नाम नहीं ले रहे, भाजपा और शिवसेना के बीच बातचीत प्रदूषित सी हो गई है। अन्य दलों में भी भृम की धुंध छाई हुई है। गठबंधन में गिव एंड टेक होता है लेकिन शिवसेना पर टेक ही टेक की धुंध चढ़ गई है।
एक और सवाल धुंध के पीछे छिप गया है। यह है चुनावों का।हमारे देश में संविधानिक संस्थाएं चाहे जितना स्वायत्तता का दावा करें परंतु सत्तारूढ़ दल की महत्वाकांक्षाओं की धुंध उन पर चढ़े बिना मानती नहीं है।लोकसभा राज्यसभा के चुनावों को एक साथ कराने की बात होती रहती है। उसमें अनेक तकनीकी व व्यवहारिक व संविधानिक समस्याएं हैं। परंतु उस भावना को अन्य चुनावों में परिलक्षित नहीं किया जा रहा। जिन राज्यों के चुनावों की तिथि में बहुत दूरी है वह एक साथ नहीं हो सकते लेकिन जिन की तारीख आसपास है, वहां चुनाव एक साथ क्यों नहीं कराए जा रहे,इस सवाल का जवाब भी धुंध खा रहा है। अभी महाराष्ट्र और हरियाणा में चुनाव सम्पन्न हुए हैं, अब झारखंड के चुनावों की घोषणा हो गई है, दिल्ली और बिहार के चुनाव भी ड्यू हैं। कुछ सामंजस्य करके तीनों विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जा सकते थे। झारखंड में केवल 81 सीट हैं, परंतु वहाँ 5 चरणों में चुनाव होंगे, क्यों, क्या नक्सल समस्या इतनी विकराल है, फिर नक्सल समस्या पर नियंत्रण का दावा क्यों किया जाता है।
और अंत में सबसे बड़ा सवाल जिस पर बिछी धुंध की चादर शायद ही कोई हटा पाए, व्हाट्सएप ने भारत में किसकी जासूसी की, क्यों की। इस सवाल का जवाब देने के बजाए सरकारी मंत्रियों ने और सवाल दाग दिए।बहुत दक्ष हैं ये लोग असली बातों से ध्यान हटाने में और धुंध को गहरा करने में।
कब छटेगी यह धुंध?
– सर्वज्ञ शेखर
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End of Week: When will this Smog disappear?
This entire week was dedicated to the Smog that had enveloped the atmosphere. Why has the Smog engulfed whole National Capital Region (NCR), who are responsible for it, whether measures were taken or not done, all the topics which were related to the Smog, such as Odd Even and Health Emergency in Delhi, burning of “Parali” (leftover part of Grain Crop) in Punjab, Haryana, etc. were all around.
Smog is a combination of two words – Smoke and Fog = Smog or Fog. The mixing of water particles and carbon particles present in smoke creates haze and it becomes more during the winter season because the water particles in the fog are in the air and the carbon particles get mixed in them. Smog is a type of air pollution that reduces visibility. Smog problems are more prevalent in areas where smoke-producing factories are located. Due to which pollution is more. In cities, this problem is more because there is more industrial work, where there is smoke from factories, vehicles, poisonous particles, ash etc. when coming in contact with fog, then there is Smog.
In such a situation, along with pollution, people also have to face the problem of smoke. This is not only good for the environment as well as for the health of us humans. Since Diwali, the poison of pollution is continuously dissolving in the air of City of Taj – Agra. Smog caused trouble in breathing due to presence of polluting elements along with Smog. Tourists and asthma and respiratory patients who came to visit the Taj Mahal had to breathe with a mask. AQI 249 was recorded in Tajanagari last week in the Air Quality Index list released by the Central Pollution Control Board.
The maximum impact of Smog is in Delhi where health emergency has been implemented to reduce pollution and the Odd Even system has been restarted, construction work has been temporarily halted, so that the side effects of pollution can be minimized. Could. The pollution level has increased so much that people have trouble taking sauces too. Delhi has turned into a gas chamber in a way.
Not only did the Taj Mahal of Agra hide behind this Smog of Delhi, but many important questions also remained in the presence of the twilight and kept from answering. A group of 23 European Union MPs traveled to Jammu and Kashmir. First 27 had to go but later why 4 MPs did not go, opposition MPs were not allowed to foreigners, after the visit MPs spoke very fluent language, why did BJP later come on the backfoot and more of those MPs Did not campaign. All these questions were blurred.
Even the clouds of haze over the politics of Maharashtra are not taking names, the conversation between BJP and Shiv Sena has become polluted. There is also a mist of Bhram in other parties. The alliance consists of give and take but the mist of only “Take” has fallen on Shiv Sena.
Another question is hidden behind the Smog. This is for elections. Constitutional institutions in our country may claim as much autonomy but do not accept the haze of the ambitions of the ruling party without climbing on them. There is talk of holding Lok Sabha elections together. There are many technical and practical and constitutional problems in it. But that sentiment is not being reflected in other elections. The states which have a great distance in the date of elections cannot be together, but the date of the elections is around, the answer to why the elections are not being held simultaneously is also blurring.
Elections have just been held in Maharashtra and Haryana, now elections for Jharkhand have been announced, elections to Delhi and Bihar are due. Elections to the three legislatures could be held simultaneously in some harmony. There are only 81 seats in Jharkhand, but there will be elections in 5 phases, why, is the Naxal problem so dire, then why is control claimed over the Naxal problem.
And in the end, the biggest question on which hardly any sheet of Smog can be removed, what did WhatsApp spy on in India, why. Instead of answering this question, the government ministers stole more questions. These people are very skilled in diverting attention from the real things and deepening the mist.
When will we get rid of this Smog?
– Sarwagya Shekhar
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