सप्ताहांत: कोरोना के विरुद्ध युद्ध लड़ रहे ये योद्धा
“जो कभी अपने समय को यों बिताते हैं नहीं
काम करने की जगह बातें बनाते हैं नहीं
आज कल करते हुए जो दिन गँवाते हैं नहीं
यत्न करने से कभी जो जी चुराते हैं नहीं
बात है वह कौन जो होती नहीं उनके लिए
वे नमूना आप बन जाते हैं औरों के लिए ।”
सुप्रसिद्ध कवि अयोध्यासिंह उपाध्याय हरिऔध ने इन पंक्तियों की रचना करीब 75 वर्ष पूर्व की थीं परंतु आज भी कोरोना के विरुद्ध युद्ध में जी-जान से लगे हुए कर्मवीरों का अभिनंदन करने के लिए समीचीन है।
पुलिसकर्मी, चिकित्सक, बैंककर्मी, सफाई कर्मचारी, आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई करने वाले लोग, गरीबों व याचितों को भोजन व अन्य सामान देने वाले समाजसेवी,पत्रकार, हॉकर, आदि अन्य बहुत सारे लोग अपनी जान की परवाह किए बिना सड़कों पर अपने-अपने कार्य में रत हैं जबकि हम सभी लौकडाउन का पालन करते हुए घरों में बंद हैं। ये सभी लोग न केवल अपनी ड्यूटी ही कर रहे हैं वरन कर्तव्यपरायणता की अद्भुत मिसाल भी कायम कर रहे हैं। कोरोना संक्रमित मरीजों के संपर्क में आने के कारण इन सभी के संक्रमित होने का हमेशा खतरा बना रहता है। अनेक चिकित्सक मरीजों का इलाज करते हुए खुद संक्रमित भी हुए हैं।
अनेक महिला पुलिसकर्मी गर्भवती होते हुए भी कार्यरत हैं, कुछ चिकित्सक अपने घर पर जाकर कार-गैरेज में रहते हैं ताकि अपने परिवार से दूरी बनी रहे, इनके लिए परिजन दूर से ही चाय नाश्ता खाना रख जाते हैं। एक समाचार में एक छोटी बच्ची को अपने पापा से मिलने के लिए रोते हुए देखा तो मन द्रवित हो गया। इस दौरान पुलिसकर्मियों का हृदय परिवर्तन बहुत हुआ है। उन्हें परेशान लोगों की सहायता करते व भोजन के पैकेट बांटते हुए देखा जा रहा है। ऐसे राष्ट्ररक्षकों के प्रति असम्मान दर्शना, उन पर थूकना, हमला करना, पथराव करना न केवल अमानवीय है वरन अक्षम्य अपराध है।ऐसी घटनाओं को सख्ती से रोका जाना चाहिए।
असामान्य परिस्थितियों में असाधारण प्रतिभा दिखाने वाले इन राष्ट्रवीरों के अभिवंदन में मेरी एक अभिव्यक्ति प्रस्तुत है –
लॉकडाउन का करो पालन,सतर्क रहो और सावधान,
राष्ट्ररक्षकों का भी करना है,हम सब को पूरा सम्मान।
चिकित्सक भगवान बने हैं,जीवन नैया लगाते पार,
परवाह नहीं जान की इनको,मरीजों का करते उपचार।
सफाई कर्मी भी बाहर हैं,हम सब हैं घर के अंदर,
सफाई व्यवस्था करने को,कर्मभूमि में व्यस्त निडर।
खुश हैं सब पुलिसकर्मियों का,हृदय परिवर्तन देख कर,
जनता के हैं बने सहायक,भोजन बाँट रहे हैं घर-घर।
उर व्यथित मन दुखी हो जाता,इन पर हो हमला बिना वजह,
राष्ट्र विरोधी हरकत है ये,अक्षम्य अपराध भी है यह।
सूरज चाहे उदित न हो,चंदा ले अपनी राह बदल,
राष्ट्रवीर न डिगते पथ से,कर्तव्य पथ पर रहें अविचल।
हे राष्ट्र रक्षको राष्ट्रवीरो,आपकी कर्तव्यनिष्ठा को नमन,
आप सजग हो,आप जागृत हो,तभी सुरक्षित है जन जन।
कोरोना के विरुद्ध युद्ध में,सबसे आगे आप खड़े हो।
संपूर्ण देश करबद्ध आपका, करता है सादर अभिनंदन।
हमारी आप सभी से भी अपील है कि इन सभी कर्मवीरों का सम्मान करें, अभिनंदन करें।ये यदि कुछ सख्ती भी करते हैं तो हमारे भले के लिए ही करते हैं।इनकी सेवा निस्वार्थ है, परोपकारी है, जनकल्याण के लिए है।
– सर्वज्ञ शेखर