सप्ताहांत: आपत्ति काले मर्यादा नास्ति
कोरोना के विरुद्ध युद्व में 21 दिन के लॉकडाउन का आधा समय बीत चुका है और अब दस दिन शेष रह गए हैं। कुछ अपवादों को छोड़कर लॉकडाउन का भारत की जनता ने समझदारी से व दृढ़ता से पालन किया। इसी लिए हमारे देश में अन्य देशों की अपेक्षा इस महामारी का प्रसार कम हो पाया। इन पँक्तियों के लिखे जाने तक 2000 लोग भारत मे संक्रमित हैं। इनमें से 50 की दुःखद मृत्यु हो गई व 151 ठीक भी हो गए।
यद्यपि लॉकडाउन के अंतिम दिन 15 अप्रैल तक स्थिति पूरी तर्ज नियंत्रण में होने की कोई आशा नहीं है परंतु अत्यधिक संभावना यह है कि 15 अप्रैल से लॉकडाउन समाप्त हो जाएगा परंतु कुछ पाबंदियों व सतर्कता बरतने के आदेश के साथ। बिना आवश्यकता घर से निकलने, भीड़ न करने, मास्क पहनने, सभाएं गोष्ठियां, शादियों व अन्य संस्कारों, मंदिरों, मस्जिदों व गुरद्वारों व अन्य धर्मस्थलों में जाने पर नियंत्रण आदि जैसी पाबंदियां जारी रह सकती हैं।
हमारा भी यही मानना है कि जिनको बाहर जाने की अनुमति हो उन्हें छोड़कर शेष सभी लोग पूरी सतर्कता बरतें तभी कोरोना को भारत से भगाया जा सकेगा। देश संकट के दौर से गुजर रहा है। नीति सूत्रों में कहा गया है “#आपत्तिकालेमर्यादा_नास्ति” अर्थात आपत्ति के समय मर्यादाओं का पालन न करने से पाप नहीं लगता व सिद्धान्तों का हनन भी नहीं होता। अब नई मर्यादाएं तय कीजिए।
यदि आप मंगलवार को हनुमान जी मंदिर में जा कर भोग लगाते हैं तो अभी जाना शुरू न करें। भले ही लॉकडाउन की समाप्ति की घोषणा हो गई हो। बहुत लोग नियम से माह में एक बार मथुरा के बांके बिहारी मंदिर दर्शन, गोवर्धन परिक्रमा, माता वैष्णो देवी, कैला देवी या अन्य तीर्थ स्थल/धर्मस्थल जाते हैं, अभी इन यात्राओं को शुरू न करें, नमाज घर पर पढ़ें, गुरुवाणी का पाठ सब मिलकर घर में ही कर लें। ताकि धर्मस्थलों में भीड़ न हो।सोमवार को शिवजी की, मंगलवार को हनुमानजी की व बृहस्पतिवार को साईंबाबा की पूजा घर पर ही कर लें, क्योंकि मन्दिर जाने पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो जाता।
स्वच्छता पर विशेष ध्यान रखा जाए। कुछ लोग विशेषकर महिलाएं रोज सर से स्नान नहीं करते। कुछ लोग मंगलवार, वृहस्पतिवार या शनिवार को शेविंग नहीं करते, कुछ दिनों के लिए यह मर्यादा त्याग दें व रोज अच्छे से नहाएं, दाढी बनाएं, हाथ ही नहीं पूरे शरीर को स्वच्छ रखें ताकि कोई जीवाणु आपके पास तक न आए व तन मन प्रफुल्लित रहे।
– सर्वज्ञ शेखर
Read in English
No Rules in Emergency
Half the time of 21 days of lockdown in the war against Corona has passed and now ten days are left. The lockdown was wisely and firmly followed by the people of India, with few exceptions. That is why the spread of this epidemic in our country was reduced compared to other countries. 2000 people are infected in India till these lines are written. Of these, 50 died tragically and 151 were cured.
Although there is no hope that the situation will be fully under control by April 15 on the last day of the lockdown, there is a high probability that the lockdown will end from April 15 but with some restrictions and vigilance orders. Restrictions such as leaving the house, not crowding, wearing masks, weddings and other rites, control of visiting temples, mosques and gurdwaras and other shrines, etc. may continue without need.
We also believe that except for those who are allowed to go out, everyone else should take full caution only then Corona can be banished from India. The country is going through a crisis. The policy formulas say “#Apattikaalemaryad_nasti”, that is, not obeying the norms during the time of objection does not constitute sin and also does not violate the principles. Now set new limits.
If you go to Hanuman ji temple on Tuesday and enjoy it, then do not start going now. Even if the lockdown has been announced to end. Many people visit Banke Bihari temple of Mathura once a month, Govardhan Parikrama, Mata Vaishno Devi, Kaila Devi or other pilgrimage site / religious place once a month, do not start these yatras right now, read Namaz at home, read all of Guruvani Do it together at home. So that there is no crowd in the religious places. On Monday, worship Lord Shiva, on Tuesday, Hanumanji and on Thursday, worship Sai Saibaba at home, because social distancing does not follow when going to the temple.
Special attention should be given to cleanliness. Some people, especially women, do not bathe their heads daily. Some people do not shaving on Tuesdays, Thursdays or Saturdays, give up this dignity for a few days and bathe well daily, make beards, keep the hands clean, not only the hands, so that no bacteria comes to you and your body will remain cheerful.
– Sarwagya Shekhar