सप्ताहांत: कम से कम वित्तमंत्री को चिंता तो हुई
पेट्रोल डीजल की बढ़ती कीमतों से जनता में बढ़ते रोष ने लगता है सरकार को भी अब कुछ सोचने को विवश कर दिया है। सरकार की चिंता वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के इस बयान से परिलक्षित होती है जो उन्होंने शनिवार 20 फरवरी को चेन्नई में दिया। उन्होंने कहा कि ये एक अफसोसजनक व गंभीर मुद्दा है जिसमें कीमतें कम करने के अलावा कोई भी जवाब किसी को संतुष्ट नहीं कर सकता। केंद्र और राज्य दोनों को उपभोक्ताओं के लिए उचित स्तर पर खुदरा ईंधन मूल्य में कमी लाने के लिए बात करनी चाहिए।इसके साथ ही उन्होंने कहा, “ओपीईसी देशों ने उत्पादन का जो अनुमान लगाया था वह भी नीचे आने की संभावना है जो फिर से चिंता बढ़ा रहा है।तेल के दाम पर सरकार का नियंत्रण नहीं है इसे तकनीकी तौर पर मुक्त कर दिया गया है। तेल कंपनियां कच्चा तेल आयात करती हैं, रिफाइन करती हैं और बेचती हैं। वित्तमंत्री ने यह भी कहा, “ओपीईसी देशों ने उत्पादन का जो अनुमान लगाया था वह भी नीचे आने की संभावना है जो फिर से चिंता बढ़ा रहा है. तेल के दाम पर सरकार का नियंत्रण नहीं है इसे तकनीकी तौर पर मुक्त कर दिया गया है. तेल कंपनियां कच्चा तेल आयात करती हैं, रिफाइन करती हैं और बेचती हैं।”
वित्त मंत्री की प्रतिक्रिया ऐसे समय में आई है जब देश में पेट्रोल और डीजल के दाम आसमान छू रहे हैं। यह प्रतिक्रिया प्रधानमंत्री और अन्य सत्ताधारी नेताओं के उन बयानों के बिल्कुल उलट है जिनमें आश्चर्यजनक रूप से पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ने की जिम्मेदारी भी पिछली सरकारों पर डाल कर अपना पल्ला झाड़ लिया था। वित्त8 का यह बयान स्वागतयोग्य है और लगता है कि उनके दिमाग में इस बाबत कुछ न कुछ चल रहा है। फिर भले ही आसाम और बंगाल के आसन्न चुनावों के मद्देनजर दाम करने की योजना ही भले क्यों न हो।
पेट्रोल की कीमत ने इन पँक्तियों के लिखते समय शनिवार 20 फरवरी 2021 को मुंबई में 97 रुपये प्रति लीटर के उच्च स्तर को छू लिया, जबकि डीजल के दाम 88 रुपये के स्तर को पार कर गए हैं।सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार शनिवार 20 फरवरी को पेट्रोल की कीमत में रिकॉर्ड 39 पैसे प्रति लीटर और डीजल में 37 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी हुई। इसके साथ ही कीमतों में लगातार 12वें दिन बढ़ोतरी जोकि तेल कंपनियों द्वारा 2017 में कीमतों की दैनिक समीक्षा शुरू किए जाने के बाद एक दिन में सबसे बड़ी बढ़ोतरी है।
ऐसा नहीं है कि सरकार डीजल, पेट्रोल या गैस के दाम घटा नहीं सकती। विशेषज्ञों के अनुसार पेट्रोलियम उत्पादों के दाम घटाने के लिए कीमतों को डीरेगुलेट करने और इन पर टैक्स घटाने के विकल्प सरकार के पास हैं। केंद्र व राज्य सरकारें टैक्स घटाकर ईंधन सस्ता कर सकती हैं और लोगों को राहत दे सकती हैं। लेकिन, सरकार ऐसा करना ही नहीं चाहती है। जब कभी सरकार चाहती है, जिन राज्यों में चुनाव होते हैं वहाँ इन दामों में वृद्धि थम जाती है या दाम कम हो जाते हैं। ऐसा कैसे संभव हो पाता है।आज कच्चा तेल ब्रेंट क्रूड 63.57 डॉलर प्रति बैरल के आसपास है और दिल्ली में पेट्रोल का मूल्य 89 रुपये प्रति लीटर को भी पार कर गया है। यूपीए के दूसरे कार्यकाल में 2009 से लेकर मई 2014 तक क्रूड की कीमत 70 से लेकर 110 डॉलर प्रति बैरल तक थी।लेकिन तब भी पेट्रोल की कीमत 55 से 80 रुपए के बीच ही रही, क्योंकि उस वक्त टैक्स का बोझ कम था।
इस समय पेट्रोल व डीजल की कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें काफी कम होने के बावजूद हर रोज नया रिकॉर्ड बना रही हैं। हम लोग एक लीटर कच्चे तेल (क्रूड ऑयल) की तुलना में पेट्रोल के लिए चार गुना भुगतान कर रहे हैं। तेल पर कुछ टैक्स कम हो जाए तो महंगाई के इस बोझ से बचा जा सकता है। पिछले एक साल से एक लीटर कच्चे तेल की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में जितनी है उससे चौगुने दाम पर आम आदमी को बेचा जा रहा है। ऐसा क्यों है।जब कच्चा तेल सस्ता है तो पेट्रोल को कौन सी बातें महंगा बना रही हैंं वो भी दोगुनी नहीं चार गुनी।
यह कहा जाता है कि पेट्रोल या डीजल की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल से तय होती है।यानी जब कच्चे तल का भाव घटे या बढ़े तो पेट्रोल या डीजल के दाम को सस्ता या महंगा होना चाहिए, लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं हो रहा है। पिछले एक साल यानी औसतन जनवरी 2020 से लेकर जनवरी 2021 के दौरान कच्चे तेल का भाव देखें तो इस दौरान अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 13 फीसदी कम हुई लेकिन घरेलू बाजार में आम लोगों को 13 फीसदी ज्यादा दाम देना पड़ा।इसलिए यह दावा गलत है कि देश में पेट्रोल और डीजल की कीमत का सीधा रिश्ता विदेश में कच्चे तेल की कीमत से हैं। इसका संबंध टैक्स और डीलर्स के कमीशन से भी है। शराब, पेट्रोल और डीजल से असानी से प्राप्त होने वाले राजस्व का मोह सरकारें नहीं छोड़ पाती। इस राजस्व के अन्य विकल्प ढूँढ़ कर पेट्रोल, डीजल के बढ़ते दामों को रोका जा सकता है,केंद्र व राज्य सरकारें चाहें तो।
– सर्वज्ञ शेखर
स्वतंत्र लेखक, साहित्यकार