आज करें विशेष पूजा और पाएं शत्रुओं पर विजय
आज 12 मई को अष्टमी है। यह अष्टमी तिथि इसलिये विशेष है कि आज माँ बगुलामखी जयन्ती भी है। वैशाख शुक्ल अष्टमी को देवी बगलामुखी का अवतरण दिवस कहा जाता है जिस कारण इसे मां बगलामुखी जयंती के रूप में मनाया जाता है।
बगला एक संस्कृत शब्द है जो वल्गा का अपभ्रंश है, जिसका अर्थ दुल्हन है, अर्थात दुल्हन की तरह आलौकिक सौन्दर्य और अपार शक्ति की स्वामिनी होने के कारण देवी का नाम बगलामुखी पड़ा। देवी को बगलामुखी, पीताम्बरा, बगला, वल्गामुखी, वगलामुखी, ब्रह्मास्त्र विद्या आदि नामों से भी जाना जाता है।
देवी बगलामुखी का सिंहासन रत्नो से जड़ा हुआ है और उसी पर सवार होकर देवी शत्रुओं का नाश करती हैं। कहा जाता है कि देवी के सच्चे भक्त तीनों लोक में अजेय है, वह जीवन के हर क्षेत्र में सफलता पाते हैं। पीले फूल और नारियल चढाने से देवी प्रसन्न होतीं हैं। देवी को पीली हल्दी के ढेर पर दीप-दान करें, देवी की मूर्ति पर पीला वस्त्र चढाने से बड़ी से बड़ी बाधा भी नष्ट होती हैं।
माँ बगलामुखी स्तंभन शक्ति की अधिष्ठात्री हैं अर्थात यह अपने भक्तों के भय को दूर करके शत्रुओं और उनकी बुरी शक्तियों का नाश करती हैं। माँ बगलामुखी का एक नाम पीताम्बरा भी है, इन्हें पीला रंग अति प्रिय है इसलिए इनके पूजन में पीले रंग की सामग्री का उपयोग सबसे ज्यादा होता है। देवी बगलामुखी का रंग स्वर्ण के समान पीला होता है अत: साधक को माता बगलामुखी की आराधना करते समय पीले वस्त्र ही धारण करना चाहिए।
दस महाविद्याओं में अष्टम स्वरूप माता बगलामुखी का है। यह स्तम्भन की देवी हैं । संपूर्ण ब्रह्माण्ड की शक्ति का समावेश हैं । शत्रुनाश, वाकसिद्धि, वाद विवाद में विजय के लिए इनकी उपासना की जाती है ।इनकी उपासना से शत्रुओं का नाश होता है तथा भक्त का जीवन हर प्रकार की बाधा से मुक्त हो जाता है। इनका ध्यान बगुला पक्षी की तरह एकाग्र है। इसलिए भी इन्हें बगलामुखी कहते हैं। विशेष रूप से मां का पूजन शत्रु पर विजय, राजनीतिक जीत, बच्चों की शिक्षा, मुकदमों में विजय के लिए किया जाता है। इनके पूजन से भक्त को उच्च पद प्राप्त होता है। उच्च पदस्थ अधिकारी, नेता, अभिनेता मां पीतांबरा की असीम अराधना से विजयश्री प्राप्त करते हैं। सामान्य से उच्च पदस्थ व्यक्ति इनका स्मरण करने पर शत्रु का विनाश कर देता है। शत्रु के विनाश से तात्पर्य उसकी दुर्बुद्धि का विनाश कर उसे सद्पुरुष बना देता है।
बगलामुखी देवी रत्नजडित सिहासन पर विराजती होती हैं रत्नमय रथ पर आरूढ़ हो शत्रुओं का नाश करती हैं। देवी के भक्त को तीनों लोकों में कोई नहीं हरा पाता, वह जीवन के हर क्षेत्र में सफलता पाता है। पीले फूल और नारियल चढाने से देवी प्रसन्न होतीं हैं। देवी को पीली हल्दी के ढेर पर दीप-दान करें, देवी की मूर्ति पर पीला वस्त्र चढाने से बड़ी से बड़ी बाधा भी नष्ट होती है, बगलामुखी देवी के मन्त्रों से दुखों का नाश होता है। माँ बागलमुखी मंत्र कुंडलिनी के स्वाधिष्ठान चक्र को जागृति में भी सहयता करते हैं।
मां बगलामुखी का विशेष मंत्र:
ॐ ह्लीं बगलामुखी देव्यै सर्व दुष्टानाम वाचं मुखं पदम् स्तम्भय जिह्वाम कीलय-कीलय बुद्धिम विनाशाय ह्लीं ॐ नम: