बीस-बीस के लिए कुछ सोचा क्या?

बीस-बीस, जी हाँ, नव वर्ष 2020 दस्तक दे रहा है। क्या कुछ सोचा है कि नए साल में क्या नया करना है, क्या पुराना छोड़ना है। नए वर्ष पर नया रेसोल्यूशन या संकल्प करने की भी एक प्रथा बहुत समय सेचली आ रही है। यह प्रथा अच्छी है। सभी को कोई भी एक बुराई छोड़ने और एक नया अच्छा काम शुरू करने का संकल्प लेना चाहिए। संकल्प की प्रक्रिया में

सप्ताहांत: आखिर आप क्या क्या बंद करेंगे

सतर्कता मूलक उपाय के रूप में पहली बार जब उत्तर प्रदेश के कुछ शहरों में इंटरनेट पर प्रतिबंध लगाया गया था तो इसका हमने बीमारी से निज़ात पाने के लिए एक कड़वी दवा के रूप में स्वागत किया था। हालांकि सोशल मीडिया और समाचार पत्रों में इंटरनेट पर रोक से होने वाली परेशानियों व आर्थिक क्षति के बारे में काफी कुछ कहा गया।पर इस वृहस्पतिवार को जब दूसरी बार पुनः

एक शाम अटल जी के नाम

प्रधान डाकघर प्रतापपुरा में साहित्य संगीत संगम द्वारा आयोजित कार्यक्रम की कुछ झलकियाँ। श्री सुशील सरित के कुशल संयोजन में सुविख्यात गजल गायक सुधीर नारायण ने अटल जी के गीतों की खूबसूरत प्रस्तुति दी।

26 दिसंबर का सूर्यग्रहण: सब पर भारी, प्राकृतिक आपदाओं की भी आशंका, क्या करें, क्या न करें

इस वर्ष का अंतिम सूर्यग्रहण 26 दिसंबर 2019 को पड़ रहा है। सूर्य ग्रहण भारत में अधिकतम खंडग्रास सूर्यग्रहण के रूप में दिखाई देगा। जब पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है और चन्द्रमा पृथ्वी की परिक्रमा करता है, परिक्रमा के दौरान एक दूसरे के बीच में ये आते जाते रहते हैं। जब सूर्य और पृथ्वी के बीच चन्द्रमा आ जाए तो इसे सूर्य ग्रहण कहते हैं। यह इस साल का

सप्ताहांत: इस आग को फैलने से जल्दी रोको

आग आग होती है, फिर वो हवन की हो या मँदिर में जल रहे दीपक की, भूख की, वासना की, हिंसा की, प्रतिशोध की, जंगल की, जब अपनी सीमा लाँघ जाती है तो हाथ जलाती है, तन जलाती है, अत्याचार को बढ़ावा देती है और कभी कभी पूरे परिवार को जला कर राख कर देती है, समाज और देश को तबाह कर देती है। आजकल यही आग हमारे देश के

सप्ताहांत – नज़रिया सब का अपना-अपना: हवा हो गया सबके साथ का सपना

स्वराज्य टाइम्स, 15 दिसंबर, 2019 देश में इतना संवेदनशील वातावरण शायद ही पहले कभी रहा हो। हर बात को लोग अपने अपने नजरिये से देख रहे हैं, वैसे ही उस पर प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे हैं। अफवाहों का बाजार गर्म है। भ्रांतियों ने कुछ क्षेत्रों में युवाओं को उग्र कर दिया है जो हिंसा पर उतारू हैं। यह सही है कि कोई सरकार या कोई भी सत्ताधारी राजनीतिक दल कोई

इन हत्याओं का जिम्मेवार कौन?

हाहाकार मचा हुआ है, रोंगटे खड़े हो रहे हैं, चीत्कार और सिसकियों की आवाज से दिल दहल रहे हैं, देखने सुनने वालों की आत्मा क्रंदन कर रही है, परंतु राजनेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों की जुबान से वही रटे रटाये जुमले निकल रहे हैं-दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा, किसी को छोड़ा नहीं जाएगा, चाहे जितना प्रभावशाली हो, जांच के आदेश दे दिए गए हैं, मुआवजे की घोषणा कर दी गई है,

इनक्रेडिबल इण्डिया फाउंडेशन एडवाइजरी बोर्ड में मनोनीत

एक और महत्वपूर्ण उत्तरदायित्व आगरा का सुविख्यात महोत्सव “ब्रज रत्नअवार्ड्स-2019” के आयोजकों इनक्रेडिबल इण्डिया फाउंडेशन ने अपने एडवाइजरी बोर्ड में मुझे Member: Board of Jury मनोनीत किया है। फाउंडेशन के चेयरमैन पूरन डाबर जी व महासचिव अजय शर्मा जी को हार्दिक धन्यवाद! – सर्वज्ञ शेखर

जल संरक्षण व पर्यावरण गोष्ठी

जल संरक्षण व पर्यावरण की रक्षा को समर्पित संस्था जलाधिकार फाउंडेशन ने 07 दिसंबर को सूर सरोवर प्रकृति अध्ययन केंद्र में गोष्ठी आयोजित की। इस अवसर पर मुख्य अतिथि फाउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष व भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल थे। पर्यावरणविद व वरिष्ठ पत्रकार राजीव सक्सेना,सुरेखा यादव,वन संरक्षण अधिकारी आनंद कुमार,बैजू,डी पी सिंह, अवधेश उपाध्याय जी जैसे विद्वजनों की उपस्थिति में मुझे भी अपने विचार व्यक्त करने का

सप्ताहांत – हैदराबाद एनकाउंटर: बुराइयों में से निकली अच्छाई

यह सप्ताह कभी खुशी कभी गम दे कर व्यतीत हुआ। हैदराबाद की डॉक्टर बेटी के साथ व्यभिचार के आरोपियों की पुलिस के साथ मुठभेड़ में मौत ने जहाँ लोगों के मन में खुशी के भाव जागृत किए तो उन्नाव की पीड़िता की दिल्ली में मौत ने पुनः दुखी कर दिया। सात साल बीत जाने के बाद भी निर्भया के दोषियों को फाँसी न होने पर एक बार फिर आक्रोश उमड़

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