शनिश्चरी अमावस्या
आइए जानते हैं शनिश्चरी अमावस्या के दिन कैसे करें व्रत और प .. Read more here…
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मेरे विचार – सर्वज्ञ
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काफी समय पूर्व की बात है पर दिमाग से निकलती नही है। हमारे एक अधिकारी पदोन्नत हो कर लखनऊ स्थान्तरित हुए। जिस शाखा में वह जा रहे थे, वहां कर्मचारी यूनियन के एक बड़े नेता पहले से ही थे और वह शाखा उन दबंग नेता जी के नाम से ही जानी जाती थी। अतः मैंने अधिकारी महोदय को बधाई दी और कहा कि आप नेताजी (नाम ) की शाखा में
चुनाव आयोग ने आज़म खान के प्रचार पर दोबारा 48 घण्टों की रोक लगा कर अपनी शक्ति का अहसास करा दिया है। आयोग की स्थिति पवनपुत्र हनुमान जी की जैसी ही है। हनुमान जी बहुत बलशाली थे परन्तु उन्हें उनकी शक्ति का अहसास कराना होता था। सीता जी को ढूढने लंका भेजने से पूर्व जामवंत ने हनुमानजी को याद दिलाया – “कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ
जब भी चुनाव आते हैं, चुनावी कामकाज , मतदान, मतगणना आदि के लिए ड्यूटियां लगाई जाती हैं ,फिर चाहे विधान सभा, लोकसभा या निकायों के ही क्यों न हों। निकायों और विधानसभाओं के चुनावों में प्रायः राज्य सरकार के कर्मचारी इस कार्य को निपटा लेते हैं। परन्तु लोकसभा के चुनावों में बैंकों, वित्तीय संस्थाओं, शिक्षकों, चिकित्सकों व अन्य विभागों के कर्मचारियों को भी इस कार्य में लगाया जाता है। कुछ
19 अप्रैल को श्री हनुमान जयन्ती थी। हनुमान जी बहुत बलशाली थे परन्तु उन्हें उनकी शक्ति का अहसास कराना होता था। सीता जी को ढूढने लंका भेजने से पूर्व जामवंत ने हनुमानजी को याद दिलाया – “कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं॥ राम काज लगि तव अवतारा। सुनतहिं भयउ पर्बताकारा॥” हमारे सर्वोच्च न्यायालय को भी यदा कदा जामवंत का रूप धारण करके संवैधानिक संस्थाओं
साइड इफ़ेक्ट को प्रायः दुष्प्रभाव के रूप में ही जाना जाता है। जब भी कोई दवा लेते हैं तो समझदार लोग उसके साइड इफ़ेक्ट के बारे में जरूर जानकारी प्राप्त कर लेते हैं। आजकल दवाओं के ही नही हर बात के साइड इफ़ेक्ट को देखा जाता है। कोई फ़िल्म आई तो उसका साइड इफ़ेक्ट क्या होगा, किसी ने भाषण दिया तो उसका साइड इफ़ेक्ट क्या होगा, आदि आदि। साइड इफ़ेक्ट