पत्रकार जीवन की कुछ बातें आज अचानक याद आ गईं

आज एक प्रतिष्ठित न्यूज़ चैनल ने अति उत्साह में, मेरे विचार से ब्लंडर कर दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का भगवान बुद्ध जयंती पर देश को संबोधन सुबह 09 बजे होना था, परंतु चैनल ने वह रेकॉर्डिंग 08 बज कर 35 मिनिट पर ही दिखा दी। 09 बजे पुनः प्रसारण किया गया, जब सारे देश में संबोधन एक साथ हो रहा था। यद्यपि यह कोई अपराध नहीं है, बस प्रक्रिया

बॉलीवुड में क्यों पैर पसार रहा है कैंसर?

इस बात को सभी जानते हैं कि बॉलीवुड के अभिनेता और अभिनेत्री जितना ग्लैमरस रहते हैं उससे ज्यादा अनुशासित जीवन व्यतीत करते हैं। एक छींक आने पर डॉक्टरों, विशेषज्ञों की जहाँ लंबी लाइन लग जाती हो, योग, प्राणायाम, जिम, डायटीशियन की सलाह से संतुलित भोजन करने वाले कलाकारों को कैंसर जैसी बीमारी क्यों परेशान कर रही है। इस विषय पर कोई प्रामाणिक जानकारी सामने नहीं आई है। इतने अवश्य संकेत

हरि बोल, हरि, हरि हरि बोल

नारी शक्ति का पूज्य उपासकबेटियों का है रखता मान।नदियों को भी माँ मानतादेवियों का करता गुणगान।।माँ भारती को नमन करताराष्ट्रभाषा का करता सम्मान।हिंदी बिंदी भारत माँ कीऐसी संस्कृति का देता ज्ञान।।वीर शहीदों के रक्त से सिंचितआजादी का पुष्पित उद्यान।राष्ट्रवीरों को नमन करतामेरा प्यारा हिंदुस्तान।।सीमा पर खड़े हैं सैनिकबहादुरी से सीना खोल,हरि बोल, हरि, हरि हरि बोल। राष्ट्रद्रोही कुछ सक्रिय हो रहेरहना उनसे सावधान।संस्कृति, धर्म की रक्षा करनाहो अपना कर्तव्य महान।।व्यभिचारी,

संस्थान संगम की ऑनलाइन काव्यगोष्ठी

कोरोना के योद्धाओं को नमन, अभिनंदन,मजदूरों की दशा पर चिंता आगरा। साहित्यिक संस्था संस्थान संगम के तत्वावधान में ऑनलाइन ऑडियो कविगोष्ठी आयोजित की गई। गोष्ठी की अध्यक्षता कोटा के वरिष्ठ साहित्यकार रामेश्वर शर्मा रामू भैया ने की। मुख्य अतिथि थे दिल्ली के कर्नल प्रवीण त्रिपाठी। गोष्ठी में अमेरिका से डॉ शशि गुप्ता सहित बैंगलोर, कोटा, ग्वालियर, दिल्ली, मेरठ, भोपाल, आगरा के 50 से अधिक साहित्यकारों ने भाग लिया। गोष्ठी का

सप्ताहांत: बहुत फायदे है खुद काम करने के

“हाय राम! जरा देखना कितना कूड़ा है दीवान के नीचे, बाई को कितनी बार बोला है जरा झाडू से अंदर तक सफाई किया कर, पर सुनती ही नहीं है। इधर उधर दो चार हाथ मारे, बस हो गया काम। धीरे-धीरे ही सही, आज खुद मैं ही कर लेती हूँ पूरे घर की सफाई।” लॉकडाउन के दौरान जब बाई को छुट्टी दे दी, यह उस दिन का वाकया है। और अब

पढ़ने की आदत डालें

विश्व पुस्तक दिवस पर विशेष पिछली दीवाली की बात है।फेसबुक पर किसी ने एक संदेश पोस्ट किया कि उनके परिवार में किसी का निधन हो जाने के कारण इस बार वह दीपावली नहीं मनाएंगे। उनके कुछ मित्रों ने इसे भी दीपावली का सामान्य संदेश समझा और अपनी ओर से बधाई व शुभकामनाएँ प्रेषित कर दीं। पहले पक्ष ने इस बात का बुरा नहीं माना क्योंकि वह समझ गए कि मूल

साधु-संतों की रक्षा करो सज्जनों को न दो संताप

संतों की निर्मम हत्या सेशोकमग्न है देश हमारा।नर नहीं नरपिशाच हैं वोसाधुओं को जिन्होंने मारा।हत्यारे और संरक्षक उनकेपाएँ सजा कठोर सभी,पुनरावृत्ति होने न पाएऐसी घटना की फिर कभी। अफवाहों को न फैलाओऔर न भरोसा करो उन पर,उत्तेजित, आक्रोशित न होनाइधर-उधर की बातें सुन कर।भीड़ हिंसा अपराध जघन्य हैनिरपराध की हत्या है पाप,साधु-संतों की रक्षा करोसज्जनों को न दो संताप। – सर्वज्ञ शेखर

सप्ताहांत: कोरोना के विरुद्ध युद्ध लड़ रहे ये योद्धा

“जो कभी अपने समय को यों बिताते हैं नहींकाम करने की जगह बातें बनाते हैं नहींआज कल करते हुए जो दिन गँवाते हैं नहींयत्न करने से कभी जो जी चुराते हैं नहींबात है वह कौन जो होती नहीं उनके लिएवे नमूना आप बन जाते हैं औरों के लिए ।” सुप्रसिद्ध कवि अयोध्यासिंह उपाध्याय हरिऔध ने इन पंक्तियों की रचना करीब 75 वर्ष पूर्व की थीं परंतु आज भी कोरोना के

प्रधानमंत्री का नया सूत्र: “वयं राष्ट्रे जागृयाम”…

3 मई तक लौकडाउन बढ़ाने की घोषणा करते समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यजुर्वेद की एक सूक्ति “वयं राष्ट्रे जागृयाम” को उद्धृत करते हुए कहा “पूरी निष्ठा के साथ 3 मई तक लॉकडाउन के नियमों का पालन करें। जहां हैं वहां रहें, सुरक्षित रहें। “वयं राष्ट्रे जागृयाम” यानी हम सभी राष्ट्र को जीवंत और जाग्रत बनाए रखेंगे।” यह पूरी उक्ति है वयं राष्ट्रे जागृयाम पुरोहिता:।” यजुर्वेद के नवें अध्याय के

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