सप्ताहांत: कितना जरूरी है संसद का नया भवन?

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10 दिसंबर 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद मोदी के भारत के नए संसद भवन की इमारत का शिलान्यास करने के साथ ही यह बहस एक बार फिर छिड़ गई है कि आखिर नए संसद भवन की क्या जरूरत थी। यह कहा जा रहा है कि हमारा संसद भवन मात्र 92 वर्ष पुराना है और विश्व के अन्य संसद भवनों की अपेक्षा नया है। भारत की संसद अपने विशाल आकार और भव्य इमारत के लिए पूरी दुनिया में पहचानी जाती है।यह देश की सबसे सुरक्षित इमारतों में से एक है। फिर 971 करोड़ रुपये खर्च करके नया संसद भवन बनाना कितना जरूरी है।

यह सही है कि अनेक देशों में संसद बहुत पुरानी इमारतों में चल रही है। नीदरलैंड के संसद की इमारत द बिन्‍नेनहोफ सबसे पुरानी मानी जाती है जिसका इस्‍तेमाल अभी हो रहा है। हेग शहर में बने इस भवन का निर्माण 13वीं शताब्‍दी में हुआ था। इटली का संसद भवन पलाज्‍जो मडामा का निर्माण 16वीं शताब्‍दी में किया गया था। यहां पर इटली की संसद के एक सदन द सीनेट ऑफ द रिपब्लिक की बैठक 1871 से हो रही है।फ्रांस की संसद की बैठक 17वीं शताब्‍दी की इमारत लग्‍जमबर्ग पैलेस में हीती है। करीब 25 ऐसे संसद भवन हैं जिनका निर्माण 19वीं शताब्‍दी में हुआ था और वे अभी भी सक्रिय हैं। अमेरिका के संसद भवन कैपिटल का निर्माण सन 1800 में पूरा हुआ था और इसे नॉर्थ और साउथ अमेरिका में सबसे पुराना संसद भवन माना जाता है। ब्रिटेन का संसद भवन भी काफी पुराना है। ब्रिटेन के हाउस ऑफ कॉमन का निर्माण 1840 मेंऔर हाउस ऑफ लॉर्ड्स का निर्माण 1870 में हुआ था। चीन का ग्रेट हॉल ऑफ द पीपल 1959 में बनकर तैयार हुआ। यहां पर नैशनल पीपुल कांग्रेस के 2900 से ज्‍यादा सदस्‍यों की बैठक होती है।

परँतु अधिकारियों के अनुसार भारतीय संसद के बढ़ते काम के कारण एक नई इमारत के निर्माण की ज़रूरत महसूस की गई।अभी का संसद भवन ब्रिटिश दौर में बना था जो लगभग 92 वर्ष पुराना है और उसमें जगह और अत्याधुनिक सुविधाओं की व्यवस्था नहीं है। इसमें कई जगहों पर मरम्मत की जरूरत है।वेंटीलेशन सिस्टम, इलेक्ट्रिसिटी सिस्टम, ऑडियो-वीडियो सिस्टम जैसी कई चीजों में सुधार की जरूरत है । इसके अलावा मौजूदा संसद भवन भूकंप रोधी भी नहीं है। ऐसे में सरकार ने नया संसद भवन बनाने का फैसला लिया। वर्तमान समय में लोकसभा में सदस्यों की संख्या 543 और राज्यसभा सदस्यों की संख्या 245 है।2021 में प्रस्तावित जनगणना के साथ ये संख्या बदलेगी और बढ़ेगी। 84वें संविधान संशोधन, 2001 में कहा गया है कि 2026 तक यथास्थिति बरकरार रहेगी। 2026 में परिसीमन के बाद बढ़ने वाले संसद सदस्यों का भार उठाने में वर्तमान संसद भवन की इमारत सक्षम नहीं है।

नई इमारत का शिलान्यास करते समय प्रधानमंत्री ने कहा कि पुराने संसद भवन ने स्वतंत्रता के बाद के भारत को दिशा दी, तो नया भवन आत्मनिर्भर भारत के निर्माण का गवाह बनेगा। पुराने भवन में देश की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए काम हुआ, तो नए भवन में 21वीं सदी के भारत की आकांक्षाएं पूरी की जाएंगी।

इन सब बिंदुओं पर गौर किया जाए तो लगता है कि संसद की नई इमारत बनना आवश्यक हो गया था और योजनानुसार कार्य पूर्ण हो गया तो भारत की आज़ादी की 75 वीं सालगिरह का जश्न नए संसद भवन में ही होगा।

– सर्वज्ञ शेखर

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