नव वर्ष तुम आ तो रहे हो…
नव वर्ष तुम आ तो रहे हो
क्या क्या नया लाओगे संग,
क्या बदलोगे दशा देश की
दे नई खुशियाँ और उमँग।
बदलेगा पञ्चाङ्ग कलेंडर
दिनांक आएगा बस नया,
नया नहीं हुआ कुछ भी तो
फिर कैसे नव वर्ष हो गया।
चंदा सूरज वही रहेंगे
तारों में वो ही टिमटिम,
वही सुहाना मौसम होगा
वारिश होगी वही रिमझिम।
पतझड़ होगा फूल खिलेंगे
पुष्पित पल्लवित चमन रहेंगे,
मधुमास की मादक मस्ती
झूम-झूम भँवरे झूमेंगे।
उसी दिशा में प्रवाहित होगी
कलकल निनादिनी की धारा,
मन्दिर मस्ज़िद वही रहेंगे
अज़ान,पूजा-वंदन हमारा।
वही होगी होली दिवाली
झूले पड़ेंगे सावन के,
गुरु पूरब, ईद, दशहरा
पुतले जलेंगे रावण के।
क्या बदलेगी सोच हमारी
नारी अत्याचार रुकेंगे,
हिंसा, हत्या, आगजनी
धोखे पापाचार न होंगे।
सीमा पर क्या शांति होगी
खत्म होगा आतंकवाद,
भीड़ हिंसा,नफरत की ज्वाला
बिना बात के वाद-विवाद।
बदलना होगा हम सबको
तब ही कुछ होगा बदलाव,
नए साल की नई आभा का
तभी दिखेगा नया प्रभाव।
नया वर्ष है नई उमंग है
नया नया लागे संसार,
कुछ भी नहीं नया है जबतक
ना बदले आचार विचार।
– सर्वज्ञ शेखर