साधु-संतों की रक्षा करो सज्जनों को न दो संताप
संतों की निर्मम हत्या सेशोकमग्न है देश हमारा।नर नहीं नरपिशाच हैं वोसाधुओं को जिन्होंने मारा।हत्यारे और संरक्षक उनकेपाएँ सजा कठोर सभी,पुनरावृत्ति होने न पाएऐसी घटना की फिर कभी। अफवाहों को न फैलाओऔर न भरोसा करो उन पर,उत्तेजित, आक्रोशित न होनाइधर-उधर की बातें सुन कर।भीड़ हिंसा अपराध जघन्य हैनिरपराध की हत्या है पाप,साधु-संतों की रक्षा करोसज्जनों को न दो संताप। – सर्वज्ञ शेखर