अब और कोई विकास दुबे पैदा न हो
कानपुर के बदमाश विकास दुबे के मारे जाने के बाद जो मुख्य प्रश्न उत्पन्न हुए हैं या जिन बातों पर आजकल मुख्य रूप से चर्चा की जा रही है, जैसे खाकी और खादी का संपर्क या मेलजोल या गठजोड़ या विकास कैसे अपराधी बना, उन सब विषयों पर हम चर्चा नहीं करना चाह रहे। हम इनसे भी आगे बढ़ कर कुछ महत्वपूर्ण बातें हैं जिन पर चर्चा करेंगे।
विकास दुबे काँड ने एक बार फिर तीन बिंदुओं पर प्रकाश डाला है। वह हैं, प्रथम हमारी न्याय व्यवस्था, द्वितीय चुनाव सुधार और तृतीय पुलिस सुधार।
हैदराबाद में जब एक महिला डॉक्टर के साथ जघन्य बलात्कार व हत्या काँड हुआ था उसके उपरांत पुलिस ने चारों बलात्कारी अपराधियों को मौत के घाट उतार दिया था। तब पुलिस की बहुत जय जयकार हुई थी, उन पुलिसकर्मियों पर फूल बरसाए गए थे और हीरो की भाँति उनका स्वागत किया गया था यद्यपि वह भी गैर कानूनी कार्य था। लेकिन जनता में यह विश्वास बड़ी तेजी से घर करता जा रहा है कि यदि किसी अपराधी को पकड़ कर उसे न्यायालय में पेश किया जाता है या उसके साथ कानून की लड़ाई लड़ी जाती है तो वह या तो बहुत लंबी चलती है या वह कानून की खामियों का फायदा उठाकर छूट जाता है या कम सजा पाता है। निर्भया कांड इस बात का ज्वलंत उदाहरण है। यद्यपि चारों बलात्कारियों को फांसी हुई, लेकिन फांसी लगने में कितना समय लगा और फांसी लगने से पहले कितने कानूनी दाँवपेच चले गए, यह सभी जानते हैं। इसलिए आजकल एक आम धारणा बनती जा रही है कि जो अपराधी है और जिसका अपराध लगभग सिद्ध हो गया है, उसको तो मौत के घाट उतार देना चाहिए। भारत की जनता बहुत संवेदनशील और भावुक है। वह इस तरह के त्वरित न्याय से तुरंत खुश हो जाती है, फिर भले ही यह कार्य कानून सम्मत हो या ना हो।
इसके बाद दूसरा प्रश्न आता है चुनाव सुधारों का। यह देखा गया है कि अक्सर कमजोर प्रत्याशी चुनाव में जीतने के लिए बाहुबलियों, गुंडों, बदमाशों की सहायता लेते हैं। जीत जाते हैं तो बाद में उन को संरक्षण प्रदान करते हैं और जब उनको राजनीतिक संरक्षण प्राप्त हो जाता है तो उनके अपराध का वैसा ही विकास होता है जैसा कि विकास दुबे का हुआ। चुनाव आयोग को या सरकार को ध्यान देना होगा कि चुनाव कानून में कुछ इस तरह से सुधार किए जाए कि कोई भी बाहुबली या अपराधी प्रत्याशी न बन पाए और न उनके परिवार का कोई भी। क्योंकि यह देखा गया है कि बाहुबली या अपराधी या सजायाफ्ता तो प्रत्याशी नहीं बनता है लेकिन वह अपनी पत्नी को, अपने भाई को या अपने परिवार के किसी भी सदस्य को चुनाव लड़ा कर जिता देता है और असली जीत अपराधी की होती है।
तो सरकार को या चुनाव आयोग को ऐसा कुछ करना होगा कि अपराधी, बाहुबली, बदमाश न तो खुद चुनाव लड़ सके और न अपने किसी परिजन को चुनाव लड़ा सके। तभी अपराधियों का राजनीति से संबंध समाप्त हो पाएगा।
अंतिम व तीसरा बिंदु है पुलिस सुधार का। अक्सर यह कहा जाता है कि पुलिसकर्मियों को बहुत कम वेतन मिलता है और उनको सुविधाएं भी बहुत कम मिलती हैं। इसीलिए वे रिश्वत का सहारा लेते हैं या अपराधियों से सांठगांठ उनको मजबूरी में करनी होती है। यह अपराधी खाकी वालों को अलग से पैसे देते हैं, उनकी सारी सुविधाओं और शौक का ध्यान रखते हैं और बदले में अपने को संरक्षित करा लेते हैं। जैसा कि विकास कांड में भी हुआ। पुलिस सुधार के बहुत प्रयास हुए हैं लेकिन हमको पुलिस की व्यवस्था में उस स्तर तक सुधार करने पड़ेंगे कि वह आत्मनिर्भर हो जाए और उनको मजबूरी में भी किसी अपराधी की या किसी गुंडे की या किसी बाहुबली की शरण में न जाना पड़े।
एक दुर्दांत विकास का तो अंत हो गया अब ऐसा कुछ करना होगा कि कोई और विकास दुबे पैदा न हो। इसके लिए सरकार को, पुलिस को, राजनीति नेताओं को और हम सब को भी सतर्क रहना होगा। जिम्मेदारी सभी की समान ही है।
– सर्वज्ञ शेखर
Read in English
No More Vikas Dubeys
The main questions that have arisen after the killing of the badass Vikas Dubey of Kanpur or the things which are mainly being discussed nowadays, such as contact of khaki and khadi or how alliances or development became criminal, on all those topics. We do not want to discuss. We will go beyond these and discuss some important things.
Vikas Dubey Kand has once again highlighted three points. They are first our judicial system, second election reform and third police reform.
In Hyderabad, when a woman doctor was subjected to heinous rape and murder, the police killed four rapist criminals. There was a lot of cheering of the police, flowers were showered on those policemen and they were welcomed as heroes even though that was also an illegal act. But the belief in the public has been increasing rapidly that if a criminal is caught and presented in the court or a law fight is fought with him, then it either goes on too long or it is due to the flaws of the law. Leaves advantage or gets less punishment. The Nirbhaya incident is a vivid example of this. Although the four rapists were hanged, it is known how long it took to hang them and how many legal steps went before hanging. Therefore, nowadays a common belief is being made that one who is a criminal and whose crime is almost proved, should be put to death. The people of India are very sensitive and passionate. She is immediately happy with such quick justice, even if the act is lawful or not.
After this comes the second question of election reforms. It has been observed that often weak candidates seek the help of musclemen, goons and miscreants to win elections. If they win, then they provide protection to them and when they get political protection then their crime will develop as it was for Dubey. The Election Commission or the government will have to pay attention to some reforms in the election law in such a way that no Bahubali or criminal candidate can be made, nor will any of his family. Because it has been observed that Bahubali does not become a criminal or a convicted candidate but he wins his wife, his brother or any member of his family by contesting the election and the real victory is the criminal.
So the government or the Election Commission will have to do something that neither the criminals, Bahubali, crooks can contest the elections themselves nor can any of their family contest the elections. Only then will the criminals’ relationship with politics end.
The last and third point is police reform. It is often said that policemen get very little salary and they get very less facilities. That is why they resort to bribery or they have to co-operate with criminals. These criminals pay separate money to khaki people, take care of all their facilities and hobbies and in return get themselves protected. As happened in the development scandal too. There have been many efforts for police reform, but we have to improve the police system to such a level that it becomes self-sufficient and they do not have to go to the shelter of any criminal or any goon or any Bahubali even under compulsion.
An accidental development has come to an end, now something has to be done so that no other development is born. For this, the government, police, political leaders and all of us also have to be vigilant. Everyone has the same responsibility.
– Sarwagya Shekhar