सुनो सुनो, सब सुनो सुनो
सुनो सुनोसब सुनो सुनोमैं क्या कहती, सुनो सुनो सूरज उग आया है कब का,हुआ समय जगने का सब का।दिनकर की बिखरी है लालिमा,हो गई ओझल निशा कालिमा। शीतल मंद समीर बह रहा,नदी में कलकल शोर हो रहा।गा मांझी ने मधुर मल्हार,यात्री उतारे नदिया पार। हुई सुहानी ऐसी भोर,चहका कलरव चारों ओर।पुष्पित बगिया सुरभित फूल,वातावरण हुआ अनुकूल। सूर्यनमस्कार, प्राणायाम,मात पिता को करो प्रणाम।नई ऊर्जा,नई आशा से,शुरू करो दैनंदिन काम। हॉकर ने