सारस्वत सम्मान

आज एक बहुत बड़े साहित्यिक मंच को साझा करने का गौरव प्राप्त हुआ। अवसर था अंतराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त #विश्वमैत्रीमंच भारत एवम साहित्य साधिका समिति आगरा के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित राष्ट्रीय साहित्य सम्मेलन 2019 का। कार्यक्रम में देश के अनेक हिस्सों से पधारे साहित्यकारों ने प्रतिभागिता की। मुझे विशिष्ट विभूतियों के सानिध्य में काव्य पाठ करने का अवसर प्राप्त हुआ। इस सत्र की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार श्री अशोक रावत ने की।

सप्ताहांत

19 अप्रैल को श्री हनुमान जयन्ती थी। हनुमान जी बहुत बलशाली थे परन्तु उन्हें उनकी शक्ति का अहसास कराना होता था। सीता जी को ढूढने लंका भेजने से पूर्व जामवंत ने हनुमानजी को याद दिलाया – “कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं॥ राम काज लगि तव अवतारा। सुनतहिं भयउ पर्बताकारा॥” हमारे सर्वोच्च न्यायालय को भी यदा कदा जामवंत का रूप धारण करके संवैधानिक संस्थाओं

अध्यक्ष और गृहणी

अध्यक्ष और गृहणी में एक बड़ी समानता है – गृहणी बड़ी तैयारी से भोजन तैयार करती है परन्तु उस को आखिर में या तो सारा बचा खुचा खाने को मिलेगा या कुछ भी नही मिलता, बेचारी भूखी रह जाती है। अध्यक्ष जी भी बड़ी तैयारी के साथ नोट्स बना कर लाते हैं, पर जब उनका बोलने का समय आता है तो संचालक/सूत्रधार महोदय अपने हाथ की घड़ी देखते हुए बड़ी

साइड इफ़ेक्ट

साइड इफ़ेक्ट को प्रायः दुष्प्रभाव के रूप में ही जाना जाता है। जब भी कोई दवा लेते हैं तो समझदार लोग उसके साइड इफ़ेक्ट के बारे में जरूर जानकारी प्राप्त कर लेते हैं। आजकल दवाओं के ही नही हर बात के साइड इफ़ेक्ट को देखा जाता है। कोई फ़िल्म आई तो उसका साइड इफ़ेक्ट क्या होगा, किसी ने भाषण दिया तो उसका साइड इफ़ेक्ट क्या होगा, आदि आदि। साइड इफ़ेक्ट

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