हम और आप मिलेंगे 7 बजे आज की शाम

मित्रो, नमस्कार।इस लिंक पर क्लिक कीजिए… https://www.facebook.com/groups/614507565818639/ और आज शाम 7 बजे अवश्य जुड़िये मुझ से।आपका स्वागत है। मैं प्रतीक्षा करूंगा।

सप्ताहांत: कोरोना और राष्ट्र के दुश्मनों पर निर्णायक प्रहार का समय है

यह सप्ताह दो घटनाओं से परिपूर्ण रहा। एक तो भारत-चीन सीमा पर हलचल और दूसरा बाबा रामदेव द्वारा कोरोना की तथाकथित दवा कोरोनिल की लॉन्चिंग। महत्वाकांक्षा होना अच्छी बात है, लेकिन अति महत्वाकांक्षा कभी-कभी असफलता का चेहरा दिखा देती है। बाबा रामदेव ने कोरोनिल को कोरोना की दवा बता कर लांच किया, उनके साथ शायद ऐसा ही हुआ। आयुर्वेद में सभी बीमारियों का इलाज है, लेकिन शायद उन्हीं बीमारियों का

सप्ताहांत: योग, गौरव और नमन का दिन

यह सप्ताह बहुत गहमागहमी भरा और अनेक घटनाओं से परिपूर्ण रहा। सप्ताह के प्रारंभ में फिल्म अभिनेता सुशांत की विषम परिस्थितियों में आत्महत्या, फिर भारत चीन सीमा विवाद में हमारे बीस वीर जवानों की शहादत इस सप्ताह की प्रमुख घटनाएँ रहे ।इसके अतिरिक्त आज रविवार को योग दिवस, मित्र दिवस व इस साल का पहला और आखिरी सूर्यग्रहण दिवस है। इस प्रकार यह सप्ताह दुख, शोक, गौरव, नमन, हवन पूजन

माया नगरी की चकाचौंध के पीछे घने अंधेरे में गुम होते हुए फिल्मी सितारे

फिल्म अभिनेता सुशांत राजपूत द्वारा की गई आत्महत्या से एक बार फिर यह सच सामने आ गया है कि माया नगरी मुंबई की चकाचौंध के पीछे एक बहुत बड़ा अंधेरा है। इस अंधेरे का सामना कुछ लोग कर जाते हैं लेकिन कुछ लोग अवसाद का शिकार होकर मौत को गले लगा लेते हैं। इस साल अब तक चार कलाकार अवसादजनक स्थिति में मौत को गले लगा चुके हैं। सिने जगत

श्रद्धांजलि सुशांत

हिम्मत रखो, आत्महत्या न करो‘छिछोरे’ में दिया था यह संदेश,पटना के छोरे, तुमने क्या कियादुखी स्तब्ध, अश्रुपूरित है देश।ऊपर चढ़ते-चढ़ते ऐसे हीऊपर क्यों गए राजपूत सुशांत,हँसता खेलता युवा अभिनेताकर गया बॉलीवुड को अशाँत।चमक-दमक के पीछे मंडरातामायानगरी में है अंधेरा घनघोर,साँप-सीढ़ी के खेल में फंस करटूट जाती जीवन की डोर। – सर्वज्ञ शेखर

सप्ताहांत: नज़रिया अपना-अपना

बात है तो बहुत पुरानी, सन 1981 में, मैंने अपनी पत्नी और छोटे बच्चे के साथ माता वैष्णो देवी और जम्मू कश्मीर की यात्रा की। जब हम जम्मू से श्रीनगर जा रहे थे तो अचानक रास्ते में बहुत काली घटा छाई, बारिश होने लगी, बिजली कड़कने लगी और दिन में अंधेरा छा गया। हम लोग बहुत डर गए, और बेटा बहुत छोटा था, सर्दी के कारण उसकी भी नाक नीली

सप्ताहांत: कोरोना के साथ जीना सीखना है मरना नहीं

1 जून से अनलॉक-1 शुरू होने के साथ ही ऐसा प्रतीत हो रहा है जैसे कोरोना भी अनलॉक हो गया हो। शुक्रवार 05 जून को इन पंक्तियों के लिखने के पिछले 24 घण्टों में देश में कोरोना के मामलों में जबरदस्त उछाल आया है। विगत 24 घंटे में 9 हजार 851 नए मामलों की पुष्टि हुई और 273 लोगों की मौत हुई है।अब देश में कुल मरीजों की संख्या 2

2 जून की रोटी का उपहास न उड़ाएं

हर साल 2 जून आते ही सोशल मीडिया पर 2 जून की रोटी का उपहास उड़ाते हुए मेसेज आना शुरू हो जाते हैं। कोई कहता है कि दो जून को रोटी जरूर खाना क्योंकि 2 जून की रोटी बड़े नसीब वालों को मिलती है तो कोई फरमा रहे हैं कि केवल दो जून को ही रोटी खाना, यह फिर अगले साल ही मिलेगी। दो जून की रोटी का मतलब दो

सप्ताहांत: तेरा दुख और मेरा दुख

अभी कुछ दिनों पूर्व एक पत्रकार साथी का कोरोना बीमारी के कारण दुःखद निधन हो गया था। मैंने उनको श्रद्धांजलि देते हुए फेसबुक पर एक पोस्ट डाली थी कि “आज मैं बहुत दुखी हूं।” मेरी पोस्ट को पढ़कर मेंरे एक साथी फोन आया कि कोरोना से सैकड़ों लोग रोज मर रहे हैं, आपने कभी दुख व्यक्त नहीं किया पर आज आप ज्यादा दुखी क्यों हैं? यह एक ऐसा सवाल था

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