बधाई
चन्द्रवार को चंद्रयान चन्द्र परभारत ने भेज रचा इतिहास,वैज्ञानिकों को सहस्र बधाईजल्दी पहुंचो चाँद के पास।दिखा दी है विश्व को हमनेअंतरिक्ष मेधा अपनी अनुपम,गर्व और अभिमान का दिन हैखुशी मनाएं सब मिल हम। – सर्वज्ञ शेखर
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चन्द्रवार को चंद्रयान चन्द्र परभारत ने भेज रचा इतिहास,वैज्ञानिकों को सहस्र बधाईजल्दी पहुंचो चाँद के पास।दिखा दी है विश्व को हमनेअंतरिक्ष मेधा अपनी अनुपम,गर्व और अभिमान का दिन हैखुशी मनाएं सब मिल हम। – सर्वज्ञ शेखर
पवित्र श्रावण मास आगयालेकर हरे भरे त्यौहार,शिव-परिक्रमा, रक्षाबंधननागपंचमी, तीज बहार।डाल-डाल डल गए हिंडोलेझूलें राधा सखियों संग,किशन कन्हैया देवें झोटारिमझिम वर्षा भरे उमंग। -सर्वज्ञ शेखर
सुनो सुनोसब सुनो सुनोमैं क्या कहती, सुनो सुनो सूरज उग आया है कब का,हुआ समय जगने का सब का।दिनकर की बिखरी है लालिमा,हो गई ओझल निशा कालिमा। शीतल मंद समीर बह रहा,नदी में कलकल शोर हो रहा।गा मांझी ने मधुर मल्हार,यात्री उतारे नदिया पार। हुई सुहानी ऐसी भोर,चहका कलरव चारों ओर।पुष्पित बगिया सुरभित फूल,वातावरण हुआ अनुकूल। सूर्यनमस्कार, प्राणायाम,मात पिता को करो प्रणाम।नई ऊर्जा,नई आशा से,शुरू करो दैनंदिन काम। हॉकर ने
रोग शोक संताप मिटाएतनाव अनिद्रा दूर भगाए,योग में है शक्ति इतनीक्रोधित मन को भी हर्षाये।एक योग अवश्य कीजियेविश्व योग दिवस पर आज,दिनचर्या का अंग बनाएंदेश, प्रांत और सकल समाज। -सर्वज्ञ शेखर
धरती प्यासी, प्यासी मटकीसूखी नदियां ताल तलैया,कब आएगी वर्षा प्यारीकब होगी छप छप छैया।हलक तलक सूख गयाजल गए पौधे तप गई घास,उमड़ घुमड़ आ जाओ बदराअब सही ना जाए प्यास #सर्वज्ञ_शेखर
चलो,तुम भी चलोहम भी चलेंऐसे देस तुम्हारे पंछी। जहाँ न तम हो,न जुल्म सितम हो ।नील गगन हो,खिला चमन हो ।न कोई चिंता,न हो निराशा,अपने में हर कोई मगन हो।आशाओं की नूतन रश्मि,दिग दिगन्त में नित उदित हो।चहुं ओर हो हंसी खुशी,उर प्रफुल्लित,मन प्रमुदित हो। आसमान की ऊंचाई में,खो जाएं बस तन्हाई में।न कोई बंधन,न कोई जकड़न,न विषाद हो,न कोई तड़पन।नव ऊर्जा का सृजन करें,विचरण, हो उन्मुक्त करें।दिनकर की हो
तम्बाखू को थू थू थूपान मसाला गुटखा थूथू थू थू थू थू थूइन सब को बोलो थू थू थूथू थू थू थू थू थूथू थू थू थू थू थू इलाइची खाओ लोंग खाओसोंफ इलाइची मुँह चबाओलेकिन पान तम्बाखू गुटखासब को जेब से दूर भगाओ केंसर जैसी बीमारी सेबच जाएगा इंसा तूतम्बाखू को थू थू थूपान मसाला गुटखा थूथू थू थू थू थू थूथू थू थू थू थू थू रोज का
अपनी माँ के श्री चरणों मेंअभी भी जब बैठ जाता हूँसाठ साल पार हो गए परखुद को बचपन में पाता हूँ झुर्रियों वाले कांपते हाथजब फेरती हैं सर पर मेरेऔर सहलाती पीठ कोदुलार से माँ धीरे धीरे जन्नत में भी नही मिल सकताऐसा सुख अपरम्पारकोई परेशानी नही तो बेटाजब पूछतीं हैं बार बार मैं ठीक हूँ, कितना भी कह दूंनही मानती है वो कभीतेरी माँ हूँ सब जानती हूँबता क्या
सुर आनन्द और शब्दोत्सव के संयुक्त तत्वावधान में 10 मई को एक शानदार कविगोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी की अध्यक्षता वयोवृद्ध साहित्यकार डॉ कुसुम चतुर्वेदी ने की। कार्यक्रम में वरिष्ठ कवियों डॉ त्रिमोहन तरल, राजेन्द्र वर्मा सजग, रमेश पण्डित, डॉ रुचि चतुर्वेदी, राजेन्द्र मिलन, अशोक अश्रु, सुशील सरित, इंजीनियर सुरेंद्र बंसल, भरतदीप माथुर, राकेश निर्मल, अलका अग्रवाल, मीनू आनन्द, कांची सिंघल, डा. सलीम अहमद एटवी, गया प्रसाद मौर्य, दीक्षा
पहले प्रकाशित किया गया – http://indiasamachar24.com/9066 कृशकाय श्रमी हूँ मैंबुभुक्षित अन्नदाता हूँपेट काट कर कर देताईमानदार करदाता हूँलोकतंत्र का प्रहरी हूँसंविधान बचाता हूँपर जरा बताओ नेताजीपांच साल में एक बार हीयाद क्यों मैं आता हूँमैं भारत का मतदाता हूँ… आगे पढ़ें… http://indiasamachar24.com/9066