पत्रकार जीवन की कुछ बातें आज अचानक याद आ गईं

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आज एक प्रतिष्ठित न्यूज़ चैनल ने अति उत्साह में, मेरे विचार से ब्लंडर कर दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का भगवान बुद्ध जयंती पर देश को संबोधन सुबह 09 बजे होना था, परंतु चैनल ने वह रेकॉर्डिंग 08 बज कर 35 मिनिट पर ही दिखा दी। 09 बजे पुनः प्रसारण किया गया, जब सारे देश में संबोधन एक साथ हो रहा था। यद्यपि यह कोई अपराध नहीं है, बस प्रक्रिया संबंधी एक चूक है जिससे कम से कम प्रधानमंत्री जी के जैसे अति महत्वपूर्ण कार्यक्रम में नहीं होना चाहिए।

इस घटना से करीब 45 वर्ष पूर्व की पत्रकार जीवन की कुछ पुरानी बातें याद आ गईं। उन दिनों तकनीक तो कोई थी नहीं, टेलीप्रिंटर भी बाद में आए। रेडियो पर आने वाले समाचारों से अखबारी न्यूज़ बनती थी। लोकल के लिए टेलीफोन या दफ्तर में पूरे दिन आने वाली विज्ञप्तियों का सहारा था। थाने, फायर ब्रिगेड को फोन करके दुर्घटनाओं और अपराध की न्यूज़ बनती थीं। जिला सूचना अधिकारी के कार्यालय से सरकारी सूचनाएं आती थीं।

विभिन्न अवसरों पर राष्ट्रपति महोदय या सेनाध्यक्ष आदि के भाषणों की अग्रिम प्रति पत्र सूचना विभाग दिल्ली या स्थानीय जिला सूचना कार्यालय से आ जाती थी। बाद में टेलीप्रिंटर पर भी अग्रिम सूचनाएं या जानकारियाँ आने लगीं। परंतु इन सभी के ऊपर लाल रंग से मोटा मोटा लिखा होता था “…इस तारीख को …..इतने बजे से पूर्व प्रकाशित या प्रसारित न करें।’

ऐसी सूचनाओं के लिफाफों या टेलीप्रिंटर की शीट को हमारे मुख्य संपादक कड़ी हिदायत के साथ हमको देते थे कि ध्यान रखना यह विज्ञप्ति किसी भी हाल में निर्धारित दिनांक व समय से पूर्व छप न जाए।

हालांकि उस समय भी अति उत्साह में मध्याह्न में प्रकाशित होने वाले कुछ अखबार कभी कभी निर्धारित समय से पूर्व छाप देते थे।

– सर्वज्ञ शेखर

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