क्या कहा, जरा दुबारा कहना

काफी समय पूर्व की बात है पर दिमाग से निकलती नही है। हमारे एक अधिकारी पदोन्नत हो कर लखनऊ स्थान्तरित हुए। जिस शाखा में वह जा रहे थे, वहां कर्मचारी यूनियन के एक बड़े नेता पहले से ही थे और वह शाखा उन दबंग नेता जी के नाम से ही जानी जाती थी। अतः मैंने अधिकारी महोदय को बधाई दी और कहा कि आप नेताजी (नाम ) की शाखा में जा रहे हैं।

बिगड़ा सा मुह बना कर वह बोले ‘क्या कहा,जरा दुबारा कहना ‘। मैंने सहजता से अपनी बात दुहरा दी। वह भड़क कर बोले, “आज तो कह दिया,आगे से मत कह देना” । मैं उस की शाखा में नही जा रहा, वह मेरी शाखा में है, मैं उस शाखा का इन्चार्ज हूँ “।

मेरी बिल्कुल समझ मे आ गया था, किससे बात करते समय शब्दों या वाक्यों का किस प्रकार प्रयोग करना है, इस बात पर अवश्य ध्यान रखना चाहिये।

ऐसा प्रायः होता है। एक बार एक महाप्रबंधक महोदय का विदाई समारोह चल रहा था। भाषण हो रहे थे। कई अत्यंत कनिष्ठ कर्मचारी अपने विचार प्रकट करते हुए कह रहे थे महाप्रबंधक जी ने मेरे साथ काम किया है, कहां कहां किया है। वहां उपस्थित एक अन्य महाप्रबंधक को यह बड़ा नागवार गुजर रहा था। उनसे रहा नहीं गया, वह बीच में ही उठे और माइक पर आ कर समझाया, आप लोग ऐसा कहैं कि साहब के साथ या उनके मार्गदर्शन में या उनके नेतृत्व में आपको कार्य करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।

मुझे स्वयं एक बार ऐसे ही वाकये से दो चार होना पड़ा। एक मित्र से बातचीत हो रही थी। उसने पूछा आजकल माता जी कहां रह रहीं हैं। मैंने तुरन्त कहा, मेरे पास। मित्र ने समझाया, बेटा तेरी क्या औकात है कि तू अपनी माँ को अपने साथ रखे। ऐसा बोल कि तू माँ के साथ रह रहा है। मैं निरुत्तर था।

उपर्युक्त तीनों दृष्टांत बिल्कुल सही हैं, मनगढ़ंत नही। परन्तु आप देखिए तीनों ही वार्तालापों में अर्थ वही है परन्तु कहने के ढंग से, वाक्यों के प्रयोग से भाव बदल रहा है।

इतने गम्भीर चिंतन के बाद कुछ हल्का फुल्का भी हो जाये। एक बार एक डॉक्टर साहब समझा रहे थे, बच्चों को उबाल कर पानी पिलाना चाहिए। इसमें उबालना किसे है , समझ में नही आता। रामू ने नहाते हुए हाथी देखा। इसमें नहा कौन रहा है, बताइए।

यह है शब्दों और वाक्यों की भूल भुलैया। सतर्कता हटी, फंसने की आशंका बढ़ी।

– सर्वज्ञ शेखर

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संजय गुप्त
संजय गुप्त
May 1, 2019 11:25 pm

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Abhinay Gupta
Abhinay Gupta
May 2, 2019 8:06 pm

Bahut khoob.. ?

Abhijatya
May 3, 2019 7:23 am
Reply to  Abhinay Gupta

Great.

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