26 दिसंबर का सूर्यग्रहण: सब पर भारी, प्राकृतिक आपदाओं की भी आशंका, क्या करें, क्या न करें
इस वर्ष का अंतिम सूर्यग्रहण 26 दिसंबर 2019 को पड़ रहा है। सूर्य ग्रहण भारत में अधिकतम खंडग्रास सूर्यग्रहण के रूप में दिखाई देगा। जब पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है और चन्द्रमा पृथ्वी की परिक्रमा करता है, परिक्रमा के दौरान एक दूसरे के बीच में ये आते जाते रहते हैं। जब सूर्य और पृथ्वी के बीच चन्द्रमा आ जाए तो इसे सूर्य ग्रहण कहते हैं। यह इस साल का तीसरा सूर्यग्रहण है, लेकिन पूर्ण सूर्यग्रहण के रूप में यह साल का पहला ग्रहण होगा। इसका असर पृथ्वी और पृथ्वी के लोगों पर पड़ता है। सूर्य ग्रहण के दौरान और सूतक लगने के बाद शुभ कार्य भी नहीं किए जाने चाहिए ऐसी मान्यता है। भारत पर इस ग्रहण का पूरा प्रभाव पड़ेगा तो कुछ धार्मिक रीति-रिवाज यहां पूरी तरह वर्जित होंगे। खगोलविदों और वैज्ञानिकों क कहना है कि ग्रहण के दौरान कुछ विकिरण वातावरण में मिलकर पृथ्वी पर पहुंचती हैं और ये विकिरण मनुष्य की सेहत के लिए हानिकारक होती हैं। इससे बहुत जल्दी भोजन में बैक्टीरिया फैलता है। हो सकता है कि इस वजह से भी सूर्य ग्रहण के दौरान भोजन ग्रहण ना करने को कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक ग्रहण को शुभ नहीं माना जाता है। इसलिए सूतक काल के दौरान खाने पीने की चीजों में तुलसी की पत्तियां डाल कर रखनी चाहिए, जिससे ये दूषित न हो सकें। वहीं तुलसी के पत्तों को भी सूतक काल शुरू होने से पहले ही तोड़ कर रख लें।
144 वर्षों बाद ऐसा दुर्योग बन रहा है कि यह ग्रहण सभी राशियों पर भारी है। दस दिनों के अंदर विश्व के अनेक हिस्सों में भूकंप, सुनामी व भयंकर हिमपात जैसी प्राकृतिक आपदाएँ आने की प्रबल आशंका है। अतः सतर्क रहें और भजन पूजन करते रहें। सूर्यग्रहण का तीन काल होता है। प्रथम, द्वितीय और अंतिम यानि मोक्षकाल। प्रारंभ काल में स्नान और जप करना शुभ माना जाता है। मध्यकाल यानि द्वितीय समय में मन ही मन देव पूजन कर सकते हैं और मोक्ष्रकाल के दौरान दान का बेहद महत्व है। यदि कहीं सरोवर और नदी हो तो उसमें ग्रहण उपरांत स्नान से ग्रहण से होने वाले कष्टों का हरण हो जाता है। अगर ऐसा संभव नहीं है तो जरूरतमंदों को जरूरत की किसी वस्तु का दान कर देना चाहिए।
ग्रहण एशिया के कुछ देश, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया में भी दिखाई देगा। भारत में ग्रहण काल 2 घंटे 52 मिनट का रहेगा।सुबह 8.17 बजे से ग्रहण का आरंभ होकर सुबह 10.57 बजे तक रहेगा। इस वर्ष के अंतिम सूर्यग्रहण की खास बात ये है कि इस बार ग्रहण से 12 घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाएगा। ये इस बार 25 दिसंबर की शाम से 26 दिसंबर तक रहेगा। इस ग्रहण के दौरान मंदिरों के कपाट बंद रहेंगे। ग्रहण देश के दक्षिणी हिस्से में कुछ स्थानों कन्नानोर, कोयंबटूर, कोझीकोड, मदुरई, मंगलोर, ऊटी, तिरुचिरापल्ली जगहों से होकर गुजरेगा। यहां पर डायमंड रिंग का नजारा बेहद अदभुत होगा। वहीं भारत के अन्य भागों में आंशिक सूर्य ग्रहण ही देखा जायेगा। भारत में वलयाकार सूर्य ग्रहण के समय सूर्य का करीब 93 फीसदी हिस्सा चांद से ढका रहेगा।
वर्ष 2020 में दो बार सूर्य ग्रहण का मौका देखने को मिलेगा। इसमें से पहला सूर्य ग्रहण 21 जून को होगा भारत समेत दक्षिण पूर्व यूरोप और एशिया में दिखाई देगा। वहीं दूसरा सूर्य ग्रहण 14 दिसंबर को लगेगा जो प्रशांत महासागर में देखा जा सकेगा।
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Solar eclipse of 26 December: Dos and Don’ts
The last solar eclipse of this year is falling on 26 December 2019. The solar eclipse will appear as the maximum eclipse eclipse in India. When the Earth revolves around the Sun and the Moon revolves around the Earth, they keep moving between each other during the orbit. When the moon comes between the sun and the earth, it is called a solar eclipse. This is the third solar eclipse of the year, but it will be the first eclipse of the year as a complete solar eclipse. It affects the Earth and the people of Earth. There is a belief that even auspicious works should not be done during solar eclipse and after applying sutak. If this eclipse will have full impact on India, then some religious customs will be completely forbidden here. Astronomers and scientists say that during the eclipse, some radiation reaches the earth in the atmosphere and these radiation are harmful to human health. This spreads bacteria in food very quickly. It is possible that due to this, it is also said not to eat food during solar eclipse. According to religious beliefs, eclipse is not considered auspicious. Therefore, during the sutak period, basil leaves should be put in the food and drink so that they are not contaminated. At the same time, keep the leaves of basil even before the sutak period starts.
After 144 years, such misuse is becoming that this eclipse is heavy on all zodiac signs. Within ten days there is a strong possibility of natural disasters like earthquakes, tsunamis and severe snowfall in many parts of the world. So stay alert and keep worshiping bhajans. There are three periods of solar eclipse. First, second and last means Mokshakal. In the beginning, bathing and chanting are considered auspicious. Medieval period i.e. in the second time, mind and god can be worshiped and charity is very important during Moksharakal. If there is a lake and a river, then after taking an eclipse in it, the sufferings caused by the eclipse are eliminated. If this is not possible, then the needy should donate something in need.
The eclipse will also be visible in some countries of Asia, Africa, Australia. The eclipse period in India will be 2 hours 52 minutes. The eclipse will start from 8.17 am till 10.57 am. The special thing about the last solar eclipse of this year is that this time the Sutak period will begin 12 hours before the eclipse. This time it will be from the evening of 25 December to 26 December. The doors of the temples will remain closed during this eclipse. The eclipse will pass through some places in the southern part of the country such as Cannanore, Coimbatore, Kozhikode, Madurai, Mangalore, Ooty, Tiruchirapalli. The view of the diamond ring here will be amazing. At the same time, only partial solar eclipse will be seen in other parts of India. At the time of annular solar eclipse in India, about 93 percent of the sun will be covered by the moon.
There will be a chance of solar eclipse twice in the year 2020. Out of this, the first solar eclipse will be seen on June 21 in South East Europe and Asia including India. At the same time, the second solar eclipse will be seen on December 14, which can be seen in the Pacific Ocean.