मातृ पितृ पूजन दिवस
जब भी दृष्टि बाधित जनों के बीच जाने का अवसर प्राप्त होता है मैं अपने आप को रोक नहीं पाता और सारे काम छोड़ कर उनके पास अवश्य जाता हूँ। कारण, सर्वविदित है। स्वाधीनता आंदोलन में मेरे पूज्य पिता रोशन लाल गुप्त करुणेश जी की दृष्टिक्षीण हो गई थी। मुझे इन दिव्यांग जनों में वही नज़र आते हैं। अवसर था स्वाधीनता सेनानियों व बुजुर्गों के सम्मान का। कालिंदी विहार स्थित