सप्ताहांत: इस आग को फैलने से जल्दी रोको
आग आग होती है, फिर वो हवन की हो या मँदिर में जल रहे दीपक की, भूख की, वासना की, हिंसा की, प्रतिशोध की, जंगल की, जब अपनी सीमा लाँघ जाती है तो हाथ जलाती है, तन जलाती है, अत्याचार को बढ़ावा देती है और कभी कभी पूरे परिवार को जला कर राख कर देती है, समाज और देश को तबाह कर देती है। आजकल यही आग हमारे देश के