प्रकृति से करो प्रेम प्रिये।

प्रकृति है दाता प्रकृति है भरता, प्रकृति है प्रभु का अनुपम उपहार प्रिये, प्रकृति से करो प्रेम प्रिये। जीवन में आशा प्रेम में भाषा, ऊर्जा, ऊष्मा उत्साह, उमंग प्रकृति ने संचार किए, प्रकृति से करो प्रेम प्रिये। चिड़ियों की चहक पुष्पों की महक, वन-उपवन शीतल मंद पवन, सुरभित पुष्पित गुलज़ार चमन, प्रकृति का है विहार प्रिये, प्रकृति से करो प्रेम प्रिये। प्रकृति की साधना करो आराधना, प्रकृति जब खिलखिलाती चहुँ

त्राहि-त्राहि

त्राहि-त्राहि मचा रही हैअतिवर्षा और भारी बाढ़,जलमग्न सड़कें, घर पुल सारेआपदाओं का बना पहाड़।योजनाएं हर साल बनती हैंसमस्याओं के निदान की,बाढ़ जाते ही बंद हो जातीसारी फाइलें समाधान की। – सर्वज्ञ शेखर Save Our Soul Traahi-traahi macha rahi haiAtivarsha aur bhaari baadh,Jalamagn sadaken, ghar pul saareAapadaon ka bana pahaad.Yojanaen har saal banati hainSamasyaon ke nidan ki,Baadh jaate hee band ho jaati,Sari filen samadhan kee. – Sarwagya Shekhar