सप्ताहांत: यू आर मोस्ट वेलकम, मिस्टर ट्रंप
कल 24 फरवरी का दिन भारत के लिए, विशेष रूप से आगरा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होने जा रहा है। दुनियाँ के सबसे बड़े लोकतँत्र और महाशक्ति अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत की दो दिवसीय यात्रा पर आ रहे हैं और अपनी यात्रा के पहले ही दिन आगरा आ कर ताजमहल का दीदार करेंगे। पहले यह समाचार आया था कि उत्तर प्रदेश की राज्यपाल व मुख्यमंत्री उनके साथ रहेंगे, पर नवीनतम जानकारी के अनुसार प्रधानमंत्री मोदी भी उनके साथ आगरा आएंगे। आगरा में स्वाभाविक रूप से उनके स्वागत की अभूतपूर्व तैयारियाँ पूरी हो गईं हैं। ताजमहल के अंदर कार न जाने की अनुमति न देने के कारण बराक ओबामा की ताजमहल यात्रा रद्द हो गई थी। परँतु ट्रंप की सदाशयता ही है उनके सुरक्षा अधिकारी कार की बजाय गोल्फ कार्ट से ताज परिसर में प्रवेश करने को राजी हो गए हैं। आगरा प्रशासन भी इस बात के लिए बधाई का पात्र है कि किसी की बात न मानने वाले अमेरिकी सुरक्षा अधिकारियों को अपनी बात मनवा सके।
हमारा शहर तो अतिथियों के स्वागत के लिए प्राचीन काल से ही पलक-पांवड़े बिछाता चला आया है। श्रंगी ऋषि, शिवाजी, सूरदास, गांधी जी, नेहरू जी ने यहाँ प्रवास किया।अनेक वरिष्ठ साहित्यकारों को आगरा आकर रहना बहुत भाया। विदेशी राजनयिक तो ताजमहल व अन्य पर्यटक स्थल देखने के लिए यहाँ आते ही रहते हैं। अटल जी व पाकिस्तानी राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ का शिखर सम्मेलन भी यहाँ सम्पन्न हुआ जिसने आगरा की अंतराष्ट्रीय पहचान में वृद्धि की।
उसी “अतिथि देवो भवः” की परंपरा का अनुपालन करते हुए आगरा अमेरिकी राष्ट्रपति के स्वागत के लिए तैयार है। यद्यपि अतिथि का तात्पर्य होता है कोई मेहमान बिना किसी सूचना के, बिना तिथि बताए आए। परँतु सभी को अतिथि कहने की परंपरा चली आ रही है। अतिथि शब्द में सम्मान का भाव समाहित रहता है।
अमेरिकी नेताओं के स्वभाव में है, अपने को सुप्रीम समझना और दूसरों को समझाना कि हम सुप्रीम हैं। ट्रंप का व्यवहार भी कोई इतर नहीं है। प्रायः ऑस्ट्रेलिया के क्रिकेट कप्तान विपक्षी टीम पर दवाब बनाने के लिए आक्रामक बयान देने लग जाते हैं। ट्रंप भी उसी नीति पर चल रहे हैं। भारत आगमन से पूर्व ट्रंप ने जो बयान दिए वो इसी ओर इशारा कर रहे हैं। “भारत ने हमारे साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया, मैं तो मोदी जी से मित्रता के कारण आ रहा हूँ। “हम कोई व्यापार समझौता नहीं करेंगे। अहमदाबाद में एक करोड़ लोग मेरा स्वागत करेंगे (जबकि पूरे अहमदाबाद की जनसंख्या ही 70 लाख है, और अधिक से अधिक 2 लाख लोगों के लिए स्टेडियम में व्यवस्था की गई है।), मैं फेसबुक फॉलोइंग में मोदी से आगे हूँ। और अब अमेरिकी प्रशासन का कहना है कि ट्रंप सी ए ए, एन आर सी व धार्मिक आजादी का मुद्दा भी मोदी जी के समक्ष रखेंगे। यह सीधी सीधी दादागीरी है, जिसके यहाँ जाएँगे उसे ही आप असहज करेंगे तो क्या जाए।
इतने उकसावे के बावजूद भारतीय कूटनीतिज्ञों ने या तो चुप्पी साध रखी है या बहुत सतर्क प्रतिक्रिया दी है क्योंकि हमें तो अपने यहाँ आने वाले मेहमान का हर हाल में मुस्करा के स्वागत ही करना है, यही हमें सिखाया गया है, यही हमने सीखा है।
इसलिए आप कितना भी नाक-भौंह सिकोड़ो, फिर भी “यू आर मोस्ट वेलकम, मिस्टर ट्रंप”…